न्यूज डेस्क
देश इस समय आर्थिक मंदी के दौर से गुजर रहा है। मंदी की मार सबसे ज्यादा ऑटो सेक्टर पर देखने को मिल रही है। पिछले साल के मुकाबले इस सार कार विक्रेताओं की हालात नासाज नजर आ रही है। कार बिक्री में खासा गिरावट देखने को मिली है।
कार बनाने वाली कंपनियों के हब यानी मानेसर में कई कार कंपनियों को प्रोडक्शन बंद करना पड़ा है। हाल ये है कि जिस दिन मोदी सरकार 2.0 के 100 दिन पूरे हुए उसी दिन सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स यानी SIAM (सियाम) ने अगस्त महीने में बिक्री के आंकड़े जारी किए और ये आंकड़े डराने वाले हैं।
अगस्त के आंकड़े बताते हैं कि अगस्त में ऑटो सेक्टर की ओवरऑल बिक्री में 23 फीसदी की गिरावट आई है। ये पिछले 21 सालों की सबसे बड़ी गिरावट है। सियाम के मुताबिक अगस्त में पैसेंजर व्हीकल की बिक्री में पिछले साल अगस्त की तुलना में 18 फीसदी से ज्यादा की कमी आई है।
घरेलू बाजार में कारों की बिक्री तो 41 फीसदी कम हो गई। ओवरऑल कमर्शियल व्हीकल्स की बिक्री में तो करीब 39 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। मीडियम और हेवी कमर्शियल व्हीकल्स की बिक्री में इससे भी ज्यादा 54 फीसदी की कमी आई है। ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि आखिर ऑटो इंडस्ट्री में सुस्ती की वजह क्या है?
दरअसल, देश में तेजी से उपभोक्ता वस्तुओं की मांग घट रही है, जो आर्थिक मंदी का बड़ा संकेत है। पिछले कुछ महीनों में मांग घटने की रफ्तार तेज हुई है और सबसे अहम बात यह है कि वित्तीय संकट से जूझ रहे एनबीएफसी के पास ऑटो डीलरों और कार खरीदारों को कर्ज देने के लिए फंड नहीं है।
इसके अलावा, नोटबंदी का असर, जीएसटी के तहत ऊंची टैक्स दरें, ऊंची बीमा लागत और ओला-ऊबर जैसी ऐप बेस्ड कैब सर्विस में तेजी और कमजोर ग्रामीण अर्थव्यवस्था ऑटो इंडस्ट्री के घटते बिक्री आंकड़ों के पीछे प्रमुख कारण हैं।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी माना है कि ओला-ऊबर जैसी ऐप के आने के बाद ऑटो सेक्टर पर असर पड़ा है। वित्त मंत्री का कहना है कि ऑटो क्षेत्र में नरमी के कारणों में युवाओं की सोच में बदलाव भी है। लोग अब खुद का वाहन खरीदकर मासिक किस्त देने के बजाए ओला और उबर जैसी आनलाइन टैक्सी सेवा प्रदाताओं के जरिये वाहनों की बुकिंग को तरजीह दे रहे हैं।
सीतारमण ने कहा कि दो साल पहले तक वाहन उद्योग के लिये ‘अच्छा समय’ था। मंत्री ने कहा कि क्षेत्र कई चीजों से प्रभावित है जिसमें भारत चरण-6 मानकों, पंजीकरण संबंधित बातें तथा सोच में बदलाव शामिल हैं। उन्होंने कहा कि कुछ अध्ययन बताते हैं कि गाड़ियों को लेकर युवाओं की सोच बदली है। वे स्वयं का वाहन खरीदकर मासिक किस्त देने के बजाए ओला, उबर या मेट्रो (ट्रेन) सेवाओं को पसंद कर रहे हैं।
सीतारमण ने कहा, ‘‘अत: कोई एक कारण नहीं है जो वाहन क्षेत्र को प्रभावित कर रहे हैं। हमारी उस पर नजर है। हम उसके समाधान का प्रयास करेंगे।’’ भारत चरण-6 उत्सर्जन मानक एक अप्रैल 2020 से प्रभाव में आएगा। फिलहाल वाहन कंपनियां भारत चरण-4 मानकों का पालन कर रही हैं।