न्यूज डेस्क
भारतीय वैज्ञानिकों की प्रतिभा का लोहा पूरी दुनिया मानती है। इसरो के वैज्ञानिकों ने कम संसाधन में इतनी बड़ी-बड़ी उपलब्धियां हासिल की है जिसके बारे में कोई सोच भी नहीं सकता। मंगल मिशन तो सभी को याद होगा। इसरो ने इतिहास रचा था। एक बार फिर इसरो के वैज्ञानिक चंद्रयान-2 मिशन के जरिए इतिहास बनाने जा रहे थे लेकिन ऐन वक्त चूक गए। फिर भी वैज्ञानिकों के इस प्रयास की चारों ओर तारीफ हो रही है। इसी क्रम में नासा ने भी भारत के ऐतिहासिक चंद्रयान-2 मिशन की सराहना की है।
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने सराहना करते हुए कहा है कि चंद्रमा के दक्षिण ध्रुव पर लैंडर ‘विक्रम’ की सॉफ्ट लैंडिंग कराने की भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की कोशिश ने उसे ‘प्रेरित’ किया है। नासा अपने भारतीय समकक्ष के साथ सौर प्रणाली पर अन्वेषण करना चाहती है।
गौरतलब है कि भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो द्वारा चंद्रमा की सतह पर चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग का अभियान सात सितंबर को अपनी तय योजना के मुताबिक पूरा नहीं हो सका। लैंडर का अंतिम क्षणों में जमीनी स्टेशन से संपर्क टूट गया। हालांकि इसरो के वैज्ञानिकों ने लैंडर को खोज निकाला है। उनके मुताबिक चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर पूरी तरह सुरक्षित और सही है।
नासा ने सात सितंबर को ‘ट्वीट’ करते हुए लिखा- ‘अंतरिक्ष जटिल है। हम चंद्रयान 2 मिशन के तहत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने की इसरो की कोशिश की सराहना करते हैं। आपने अपनी यात्रा से हमें प्रेरित किया है और हम हमारी सौर प्रणाली पर मिलकर खोज करने के भविष्य के अवसरों को लेकर उत्साहित हैं।’
पूर्व नासा अंतरिक्ष यात्री जेरी लेनिंगर ने शनिवार को कहा था कि चंद्रयान-2 मिशन के तहत विक्रम लैंडर की चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग कराने की भारत की ‘साहसिक कोशिश’ से मिला अनुभव भविष्य के मिशन में सहायक होगा।
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लिनेंगर ने कहा, ‘ इससे हमें निराश नहीं होना चाहिए। भारत कुछ ऐसा करने की कोशिश कर रहा है जो बहुत ही कठिन है। लैंडर से संपर्क टूटने से पहले सब कुछ योजना के तहत था।’
नासा के अनुसार चंद्रमा की सतह पर उतरने से संबंधित केवल आधे चंद्रमा मिशनों को ही पिछले छह दशकों में सफलता मिली है। एजेंसी की तरफ से चंद्रमा के संबंध में जुटाए गए डेटा के मुताबिक 1958 से कुल 109 चंद्रमा मिशन संचालित किए गए, जिसमें 61 सफल रहे।
करीब 46 मिशन चंद्रमा की सतह पर उतरने से जुड़े हुए थे जिनमें रोवर की ‘लैंडिंग’ और ‘सैंपल रिटर्न’ भी शामिल थे। इनमें से 21 सफल रहे जबकि दो को आंशिक रूप से सफलता मिली।
सैंपल रिटर्न उन मिशन को कहा जाता है जिनमें नमूनों को एकत्रित करना और धरती पर वापस भेजना शामिल है। पहला सफल सैंपल रिटर्न मिशन अमेरिका का ‘अपोलो 12’ था जो नवंबर 1969 में शुरू किया गया था।
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वर्ष 1958 से 1979 तक केवल अमेरिका और पूर्व सोवियत संघ ने ही चंद्र मिशन शुरू किए। इन 21 वर्षों में दोनों देशों ने 90 अभियान शुरू किए। इसके बाद जपान, यूरोपीय संघ, चीन, भारत और इस्राइल ने भी इस क्षेत्र में कदम रखा। रूस द्वारा जनवरी 1966 में शुरू किए गए लूना 9 मिशन ने पहली बार चंद्रमा की सतह को छुआ और इसके साथ ही पहली बार चंद्रमा की सतह से तस्वीर मिलीं।
वहीं अपोलो 11 अभियान एक ऐतिहासिक मिशन था जिसके जरिए इंसान के पहले कदम चांद पर पड़े। तीन सदस्यों वाले इस अभियान दल की अगुवाई नील आर्मस्ट्रांग ने की। 2000 से 2019 तक 10 मिशन शुरू किए गए जिनमें से पांच चीन, तीन अमेरिका और एक-एक भारत और इजराइल ने भेजे।
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