शबाहत हुसैन विजेता
मुल्क की माहिर पुलिस चौकस है। रात-दिन चालान करने में लगी है। पहले ड्राइविंग लाइसेंस सबसे ज़रूरी दस्तावेज होता था लेकिन अब रोके गए शख्स के पास जो कागज़ नहीं है, वही सबसे ज़रूरी दस्तावेज माना जायेगा।
आरसी नहीं है तो चालान, इंश्योरेंस नहीं है तो चालान, पॉल्यूशन चेक नहीं करवाया है तो चालान। सब कुछ है तो हेल्मेट क्यों नहीं है? हेल्मेट भी है तो आधी हेडलाइट काली क्यों नहीं कराई? वह भी है तो नम्बर स्टैंडर्ड साइज़ में नहीं लिखे हैं। वह भी सही निकल जाए तो ड्रेस कोड भी तो मानना चाहिए था। चप्पल और सैंडिल पहनकर बाइक चलाओगे?
ट्रैफिक पुलिस की खासियत ट्रेन के टीटी जैसी होती है, जिसे भी रोका उसका चालान तय है, तुम तीन सवारी थे, तुम तेज़ रफ़्तार में थे, रेड लाइट पर तुम रुके तो ज़ेब्रा क्रासिंग पार कर गए थे, तुम मोबाइल पर बात करते हुए गाड़ी चला रहे थे, तुम्हें रोका गया तो भी तुम रुके नहीं, तुम इतनी खतरनाक गाड़ी चला रहे थे कि दूसरों के लिए खतरा बन गए थे। तुम्हारा चालान ज़रूरी है, उसे रोका नहीं जा सकता।
पहले चालान डराने वाले नहीं होते थे। सौ-दो सौ रुपये देकर आदमी तौबा कर लेता था कि अब इस गलती को नहीं दोहराएगा लेकिन नया कानून डराने वाला है। तेरह हज़ार कीमत वाली गाड़ी पर 23 हज़ार का चालान हुआ जा रहा है।
इमरान पहली बार राजधानी आया था, यहाँ के तौर तरीकों से वाकिफ नहीं था। उसे पता नहीं था कि सफेद वर्दी वाली पुलिस जब सख्ती करती है तब पुराने से पुराना गाड़ी चलाने वाला भी हकलाने लगता है। उसे हर कदम पर अपनी ही गलती नज़र आने लगती है।
दुकानों पर लगे चमकदार साइनबोर्ड पढ़ता वह राजधानी की सड़क से गुजरा तो न जाने कहाँ से एक ट्रैफिक हवलदार ठीक उसके सामने आ गया, वह कुछ समझ पाता इसके पहले ही उसने गाड़ी की चाबी निकाल ली और बोला कि जाओ चौराहे पर साहब से मिल लो।
इमरान के पास गाड़ी के सारे कागज़ थे, ड्राइविंग लाइसेंस, आरसी, इन्श्योरेंस, पॉल्यूशन सार्टिफिकेट, सर पर हेल्मेट, पांव में जूते, नम्बर प्लेट साफ-सुथरी, बड़े-बड़े नम्बर दर्ज, मगर चार सवालों में ही वह हकलाने लगा।
हवलदार बोला कि पॉल्यूशन सर्टिफिकेट फ़र्ज़ी है, गाड़ी धुआं ज़्यादा फेंक रही है, तुम चौराहे के पास थे फिर भी तेज रफ्तार थे, तुम्हें रोका गया तो तुमने गाड़ी चढ़ाने की कोशिश की। इमरान बोला कि आप यह गलत कह रहे हैं मैं बहुत धीमे था, फिर भी आपने गाड़ी की चाबी निकाल ली थी। हवलदार ने डपटा, अबे चाबी न निकालता तो तू तो गाड़ी ऊपर चढ़ा देता, तू तो मार डालता मुझे। साहब इसके खिलाफ 307 की धारा भी लगाओ, जेल में सड़ेगा तो अकल ठिकाने आ जायेगी।
वह खूब रोया, गिड़गिड़ाया लेकिन कानून के पहरुए नहीं पसीजे, कर दिया ओवर स्पीडिंग का चालान। अच्छे वकील के बावजूद मुकदमा हारकर कोर्ट से बाहर निकलने वाले के जैसी शक्ल लेकर इमरान अपनी गाड़ी के पास पहुंचा। वहीं पास में एक नौजवान से ट्रैफिक पुलिस की डीलिंग चल रही थी। उसे बताया गया था कि कुल मिलाकर ग्यारह हजार रुपये जुर्माना बन रहा है। तीन हज़ार दे दो तो साहब से बात की जाए। नौजवान ने पांच सौ का नया नोट दिखाया लेकिन हवलदार ठीक वैसे ही बिदका जैसे फकीर एक रुपये का पुराना वाला छोटा सिक्का देखकर बिदक जाता है। वह बोला कि भाई तुम चालान की पर्ची ही कटा लो, यह पांच सौ कोर्ट में दे देना। तुम्हें भी पता लग जायेगा। यहाँ तो भाईचारे में तुम्हें कम पैसों में बचाये ले रहे हैं और तुम हो कि समझ ही नहीं पा रहे हो।
आधे घण्टे की जद्दोजहद के बाद पंद्रह सौ में मामला फिट हो गया। हवलदार के भाईचारे की वजह से वह नौजवान बिना कागज़ के ही गाड़ी स्टार्ट कर फर्राटा भरता हुआ सामने से गायब हो गया।
इमरान ने छोटे शहरों की सड़कों पर खूब गाड़ी चलाई थी लेकिन राजधानी की सड़क ने पहले ही दिन उसे भाईचारे की परिभाषा समझा दी थी। गाड़ी स्टार्ट करने की उसकी हिम्मत नहीं हुई। चालान की पर्ची संभालकर उसने पर्स में रखी और पैदल ही चौराहा पार करने लगा।
चौराहे के दूसरे किनारे पर एक दूसरे नौजवान के चालान की 23 हज़ार की पर्ची कट गई थी। नौजवान धाराप्रवाह गालियां बक रहा था। 1990 मॉडल के बजाज चेतक का 23 हज़ार का चालान उसके गुस्से में आग में घी का काम कर रहा था।
वह गुर्राया कि इस चेतक को कोई तीन हज़ार में भी नहीं खरीदेगा और तुम लोग 23 हज़ार चालान का लोगे। अरे बेशर्मों चाकू लेकर लूट शुरू कर दो। गला काटने वाला कानून बनाये हो। वर्दी पहनकर लोगों की हिफाज़त करने के बजाय तुम लोग लूटने निकले हो। आम आदमी घर से बाहर भी नहीं निकल सकता। शर्म आनी चाहिए कि इतने पुराने स्कूटर को देखकर भी इन्हें रहम नहीं आया। अबे अगर हमारे पास 23 हज़ार होते तो ऐसे थके हुए स्कूटर पर खुद को घसीट रहे होते।
ट्रैफिक वाला हवलदार गुर्राया कि जल्दी जा यहाँ से वर्ना तू अभी मार भी खायेगा। नौजवान बोला कि देख तेरे चालान की फातिहा यहीं पढ़ देता हूँ। मोटी सी गाली देते हुए उसने जेब से चालान की पर्ची निकालकर गोल-गोल मोड़ी, बिल्कुल सिगरेट की तरह, उसे पेट्रोल की टंकी में डालकर एक सिरे को लाईटर से जला दिया। देखते ही देखते स्कूटर धू-धू कर जलने लगा।
चौराहे पर भगदड़ मच गई। आसमान पर काला सा धुएं का गुबार छा गया। चारों तरफ की सड़कों पर ट्रैफिक जाम हो गया। चालान करने वाले तेज़ी से वहाँ से निकल गए।
गाड़ी में आग लगने की खबर पाकर फायर ब्रिगेड की गाड़ी आ गई थी लेकिन जाम की वजह से मौके पर पहुंच नहीं पा रही थी। हर कोई जानना चाह रहा था कि आखिर गाड़ी में आग लगी कैसे? कोई बताने वाला नहीं था। इमरान चाहता था कि खूब ज़ोरों से चिल्लाए और सबको बताए कि यह गाड़ी जलाई नहीं गई, इसमें से तो चालान का धुआं उठ रहा है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं, लेख में उनके निजी विचार हैं)
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