जुबिली पोस्ट ब्यूरो
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में होमगार्डस जवान के दिन आखिर कब बहुरेंगे… इसका जवाब अब तक यूपी के होमगार्डों को नहीं मिला है। ऐसा तब है जब पूर्व खेल मंत्री को चेतन चौहान को होमगार्ड्स प्रान्तीय रक्षक दल एवं नागरिक सुरक्षा मंत्री बनाया गया है।
चौहान ने आश्वस्त किया कि सभी लोग मेहनत से कार्य करें जो भी समस्याएं आयोगी उसका निस्तारण किया जायेगा। लेकिन मंत्री जी आप यूपी के उन 90,000 होमगार्ड की कब सुनेंगे जो दिन भर धूप में खड़े होकर तमाम समस्याओं से आम जनता के लिए कार्य कर रहे है।
मंत्री चेतन चैहान ने पुरानी जेल रोड पर स्थित होमगार्ड्स एवं प्रान्तीय रक्षक दल मुख्यालय का निरीक्षण करने पहुंचे तो उन्होंने वहां होमगार्डों के मुद्दों पर चर्चा तक नहीं की, जिससे यूपी के जवानों में काफी रोष है। मंत्री ने वहां पहुंचकर मुख्यालय के रख-रखाव, साफ- सफाई का निरीक्षण किया और आवश्यक दिशा-निर्देश भी अधिकारियों को दियें।
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उन्होंने सभी अधिकारियों एवं कर्मचारियों से उनकी विभाग से सम्बन्धित समस्याएं सुनी। लेकिन जो सबसे ज्यादा पीड़ित है उनकी सुधी तक नहीं ली। इसके बजाए मंत्री ने अधिकारियों को विभागीय समस्याओं के निस्तारण के निर्देश दियें। उन्होंने कहा कि कर्मचारियों एवं अधिकारियों की समस्याओं को गम्भीरता से ले तथा उसका तत्काल निस्तारण सुनिश्चित किया जायें।
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने होमगार्ड्स को पुलिस कांस्टेबल के बराबर न्यूनतम वेतन प्रतिमाह देने का आदेश दिया है लेकिन अब तक सरकार का कोई रूख स्पष्ट न होने के चलते होमगार्ड इससे काफी खफा है।
जबकि होमगार्ड जवानों की माने तो शासन स्तर पर लगातार बैठकों का दौर जारी है, लेकिन उनकी सुधी लेने वाला कोई नहीं है। यहां तक उनसे बात करना भी मुनासिब नहीं समझा जा रहा है, जिससे उनकी भावनाएं आहत हो रही है।
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ये मिलना है लाभ
सातवें वेतन आयोगी की सिफारिश लागू होने के बाद एक पुलिस कांस्टेबल को 15,600 – 60,600 रूपए प्रति माह तथा ग्रेड पे- 9,400 रूपए प्रति माह मिलता है। जबकि होमगार्ड के जवानों को प्रतिदिन 500 रुपए के हिसाब से भत्ता मिलता है।
इसमें जितने दिन ड्यूटी लगेगी उतने ही दिन के भत्ते का भुगतान किया जाता है। इसी वजह से होमगार्ड्स के जवान लंबे समय से एक फिक्स वेतन की मांग कर रहे है। इस मांग को कोर्ट ने स्वीकार तो कर लिया है लेकिन सरकार इसको लागू करने मे रूचि नहीं दिखा रही है।
उत्तर प्रदेश शासन होमगार्ड के लिए वार्ता कर रहा है, लेकिन एसोसिएशन के पदाधिकारियों को नहीं बुलाया जा रहा है। सरकार की मंशा ठीक नहीं लग रही है। सरकार कितना भी प्रर्यास कर लें लेकिन उच्च न्यायालय ने हमारी बात सुनी है। यदि सरकार ने समय रहते हमारी मांग पूरी नहीं कि तो हम न्यायालय की शरण में फिर जाएंगे। सरकार को कोर्ट की बात मानते हुए सूबे के सभी होमगार्डों को वेतन देना ही होगा।
रामेन्द्र कुमार यादव, प्रदेश अध्यक्ष, होमगार्ड एसोसिएशन