स्पेशल डेस्क
पटना। सीएबी के सचिव आदित्य वर्मा ने गुरुवार को एक विज्ञप्ति जारी कर बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के वर्तमान कार्यशैली पर तगड़ा हमला करते हुए कहा है कि, किस संवैधानिक अधिकार के तहत बीसीए का पेड कर्मचारी सीईओ रोजाना मीडिया को बीसीए के कार्य का विवरण दे रहा है, चाहे वह चयन समिति का गठन हो या बिहार के अंडर-16 से लेकर सिनियर तक का महिला एवं पुरुष क्रिकेटरों की सूची नाडा के तहत जांच से संबंधित जानकारी के लिए घोषित हो।
वर्मा ने कहा कि एक ओर बीसीसीआई ने गत 21.08.2019 को क्रिकेट सेन्टर, मुम्बई के अपने कार्यालय में बीसीए के वर्तमान स्वरूप के कार्यशैली पर 5 अलग अलग गु्रप के पदाधिकारी को बुलकर 5 घंटे को मैराथन बैठक कर सुना। एक दिन के पश्चात बीसीसीआई के जीएम सबा करीम पटना पहुंच कर मैदान, विभिन्न होटलों में घूम घूम कर देखा और निरीक्षण किया। जो संकेत दे रहा था कि राजस्थान के तर्ज पर बिहार मे बीसीसीआई जल्द ही कुछ वैकल्पिक व्यवस्था कर बिहार के क्रिकेट को संचालित करने वाली है। दूसरी ओर बीसीए के सीईओ के रोजाना के हरकत से बिहार क्रिकेट का संचालन किसके हाथों में होगा, उस पर एक रहस्य बना हुआ है। 2 अगस्त एवं 13 अगस्त के सीओए बीसीसीआई के मेल से इतना तो तय हो गया है कि वर्तमान बिहार क्रिकेट संघ दो भागों में विभाजित हो चुका है। ऐसी परिस्थिति में बीसीसीआई के पास एडहोक कमेटी के अलावा कोई चारा नहीं बचा है।
सुप्रीम कोट के द्वारा मान्य बीसीसीआई के संविधान के धारा के अन्तर्गत कहा गया है कि जिस राज्य में क्रिकेट संघ में डिसप्यूट है वहां पर बीसीसीआई को पूरा अधिकारप है कि कोई भी निर्णय ले सकती है। इस स्थिति में बिहार में एडहोक कमेटी छोड़ कर कोई दूसरा चारा नहीं है। विशिष्ठï सूत्रों से पता चला है कि सितम्बर महीना के दूसरे सप्ताह में बिहार क्रिकेट से संबंधित बीसीसीआई के सीओए की ओर से कोई अहम फैसला आ सकता है।