न्यूज डेस्क
देश बदल रहा है लेकिन नहीं बदल रहा है तो वह है जाति-पात को लेकर लोगों की सोच। इसी सोच का नतीजा है कि कई जगहों पर सवर्णों और दलितों का श्मसान घाट भी अलग-अलग है। मद्रास हाईकोर्ट ने इस पर चिंता जताते हुए सरकार पर ही सवाल उठाया है। वेल्लोर जिले में दलितों के लिए अलग श्मसान घाट आवंटित किए जाने की परंपरा की आलोचना करते हुए कोर्ट ने कहा कि ऐसा क्यों लग रहा है कि सरकार खुद ही जाति के आधार पर विभाजन को बढ़ावा दे रही है।
मालूम हो कि एक सप्ताह पहले तमिलनाडु में एक शर्मसार करने वाली घटना सामने आई। वेल्लोर जिले के वनियमबाडी में सवर्णों द्वारा दलितों को अपनी जमीन से गुजरने का रास्ता नहीं दिया। मजबूरी में दलितों को अपने परिजन के शव को 20 फीट ऊंचे पुल से नीचे गिराकर अंतिम संस्कार करना पड़ा था। इस मामले को मद्रास हाईकोर्ट स्वत: संज्ञान लिया था।
मद्रास हाईकोर्ट ने एक अंग्रेजी अखबार में यह खबर प्रकाशित होने पर पिछले हफ्ते इस मुद्दे का संज्ञान लिया। कोर्ट ने यह टिप्पणी कोर्ट ने 26 अगस्त को किया।
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जस्टिस एस. मणिकुमार और जस्टिस सुब्रहमण्यम प्रसाद की पीठ ने अपनी मौखिक टिप्पणी में कहा कि सभी लोग, चाहे वे किसी भी जाति या धर्म के हों, उन्हें सभी सार्वजनिक स्थानों पर प्रवेश की इजाजत है।
हाईकोर्ट ने कहा कि ‘आदि द्रविड़ों’ (अनुसूचित जाति) को अलग कब्रिस्तान आवंटित कर सरकार खुद ही ऐसी परंपरा को बढ़ावा देती दिख रही है। कोर्ट ने वेल्लोर जिला कलेक्टर और वनियाम्बडी तहसीलदार को कब्रिस्तान के आसपास ग्रामीणों द्वारा इस्तेमाल की गई भूमि का ब्योरा सौंपने का निर्देश दिया।
गौरतलब है कि वेल्लोर जिले के वनियाम्बडी कस्बे के पास स्थित नारायणपुरम गांव के दलित समुदाय के लोग अपने सगे-संबंधियों के शवों को नदी पर स्थित पुल से नीचे गिराने के लिए मजबूर हैं क्योंकि नदी तट पर स्थित कब्रिस्तान तक जाने का रास्ता दो लोगों के कथित अतिक्रमण के चलते बाधित हो गया है।
The garlands fall off the dead body as the stretcher is lowered. No dignity in death for Kuppan, a Dalit man from Vellore. His body cannot be taken on the road to the crematorium other dominant castes use. Details here- https://t.co/kg9qIXcG1O pic.twitter.com/7SpJaY5AOA
— Dhanya Rajendran (@dhanyarajendran) August 22, 2019
पीठ ने पिछले हफ्ते तमिलनाडु के गृह सचिव, वेल्लोर जिला कलेक्टर और तहसीलदार को नोटिस जारी कर इस मुद्दे पर उनसे जवाब मांगा था।
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