न्यूज़ डेस्क
वह समय चला गया जब बेटियों के होने पर शोक छा जाता था। आज बेटियां वो पावन दुआ हैं, जो हर क्षेत्र में अपनी सफलता के लिए आदर्श बनती जा रही हैं। आज की नारी इन सभी पुराने अंधविश्वासों व रूढ़ियों पर विजय पाकर अपनी श्रेष्ठता का दर्शा रही है। आज हर लड़की अपने कन्या रूप में जन्म लेने पर शर्म नहीं बल्कि गर्व महसूस करती है।
ऐसा ही देश की एक बेटी ने कर दिखाया है आसमान में अपनी क्षमता और काबिलियत को के दम पर पूरे देश को उस पर गर्व हो रहा है। जी हां विंग कमांडर शालिजा धानी देश की पहली भारतीय महिला वायुसेना अधिकारी हैं जो फ्लाइट कमांडर बनी हैं। उन्होंने 15 साल से वायुसेना में रहते हुए देश के सेवा की है लेकिन अब शालिजा धामी को हिंडन एयर बेस के चेतक हेलिकॉप्टर यूनिट में फ्लाइट कमांडर का पदभार दिया गया है।
Indian Air Force’s Wing Commander S Dhami has become the first female officer in the country to become the Flight Commander of a flying unit. She took over as Flight Commander of a Chetak helicopter unit at Hindon air base. Flight Commander is the second in command of the unit. pic.twitter.com/JRTzYATGMP
— ANI (@ANI) August 27, 2019
बता दें कि फ्लाइट कमांडर का पद वायुसेना में पहली प्रमुख लीडरशिप का पद होता है। वायुसेना में शालिजा के यहां तक पहुंचने से उन महिलाओं के लिए प्रेरणा मिलेगी जो वायुसेना में आगे बढ़ने चाहती है या अपना करियर इसमें बनान चाहती है। शालिजा एक नौ साल के बच्चे की मां भी है। उन्हें बचपन से ही पायलट बनने का शौख़ था।
पायलट के साथ साथ फ्लाइंग इंस्ट्रक्टर भी है धानी
वायुसेना में अपने पन्द्रह साल के करियर में उन्होंने चेतक और चीता हेलिकॉप्टर में उड़ान भरी हैं। इसके साथ ही विंग कमांडर धामी चेतक और चीता हेलीकॉप्टरों के लिए भारतीय वायुसेना की पहली महिला योग्य फ्लाइंग इंस्ट्रक्टर भी हैं।शालिजा धामी पहली महिला अधिकारी हैं जिन्हें वायुसेना में लंबे समय अंतराल के लिए स्थाई कमीशन प्रदान किया जाएगा।
बता दें कि दिल्ली हाईकोर्ट में लंबी और कठिन कानूनी लड़ाई जीतने के बाद महिला अधिकारियों को अपने पुरुष समकक्षों के साथ स्थाई कमीशन पर विचार करने का अधिकार प्राप्त हुआ है। इसके अलावा 1994 में पहली बार महिलाओं को भारतीय वायुसेना में शामिल किया गया। लेकिन उन्हें नॉन-कॉम्बैट रोल दिया गया। कॉम्बैट रोल्स हांसिल करने के लिए महिलाओं ने खूब संघर्ष किए हैं। तब जाकर उन्हें ये अधिकार मिला है।
इन बातों पर निर्भर कमीशन
स्थाई कमीशन को लेकर वायुसेना प्रमुख एयर मार्शल बीएस धनोआ ने बताया था कि महिलाओं के लिए यह कमीशन दो बातों पर निर्भर करता है। पहला- वैकेंसी की संख्या और दूसरा- मेरिट। उन्होंने बताया कि वायुसेना के अलावा सभी सेना में महिलाओं की भर्ती के लिए कोई रोक नहीं है। लेकिन स्थाई कमीशन में चयन होने से पहले महिला ऑफिसर ने करीब 13 साल तक वायुसेना में सेवा देना जरुरी है। इसके बाद उनका चयन स्थाई कमीशन लागू किया जाएगा।
ये होगा फायदा
स्थाई कमीशन के लागू होने से महिला उम्मीदवार ज्यादा वक्त तक सेना में काम कर पाएंगी। साथ ही उन्हें कई अन्य सुविधाएं भी मिल सकेंगी। वहीं बीएस धनोआ ने बताया कि, ‘अगर महिलाएं चाहें तो वह स्थायी कमीशन तहत काम कर सकती हैं। क्योंकि सेना में वह शॉर्ट सर्विस कमीशन के तहत काम करती हैं।
बदल गये नियम
इससे पहले शॉर्ट सर्विस कमीशन के अधिकारी 10 साल की सर्विस के बाद स्थाई कमीशन के लिए योग्य होते हैं, लेकिन उनका सालाना रिपोर्ट में अच्छा ट्रैक होना चाहिए। वहीं, स्थाई कमीशन के आधिकारी शॉर्ट सर्विस कमीशन में शिफ्ट नहीं हो सकता था। अगर कोई जाना चाहता है तो उसे रिटायरमेंट लेना होगा।