जुबिली पोस्ट ब्यूरो
लखनऊ। छात्रों को प्रवेश के लिए जहां एक तरफ अलग-अलग कोर्सों के सीटों की मारामारी रहती है। जल्दी ही सीटें फुल हो जाने की वजह से प्रवेश हर शैक्षणित वर्ष काफी संख्या छात्र वंचित रह जाते हैं। आवेदन करने के बाद उत्तीर्ण हुए छात्रों में सभी को किसी शैक्षणिक संस्थान उसके मनचाहे कोर्स में प्रवेश मिल जाए मौजूदा समय संभव नहीं है।
लेकिन उत्तर प्रदेश में किसी समय जिस कोर्स के लिए छोत्रों में काफी उत्सुकता देखने मिलती थी और मौजूदा दौरा यह डीग्री हासिल कर लाखों की संख्या अध्यपाक सेवारत हैं।
हम बात कर रहे हैं डीएलएड (पूर्व में इस कोर्स को विशिष्ट बीटीसी के नाम से जाना जाता था) की जिसकी शैक्षणिक सत्र 2019-20 शुरू हो चुका है। दो चरणों में काउंसलिंग की भी प्रक्रिया पूर्ण हो चुकी है। बावजूद इसके अभी भी प्रदेश भर में लाखों सीटें खाली पड़ी हुई हैं।
डीएलएड का शैक्षणिक सत्र 2019-20 के लिए प्रदेश में 67 जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट) की 10600 और 3087 निजी कॉलेजों की 218550 को मिलाकर कुल 229150 सीटों के सापेक्ष 123823 सीटें ही भर पाई हैं। जबकि 105327 सीटें खाली रह गई है जो अधिकांश निजी कॉलेजों की है।
परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार 2019-20 शैक्षणिक सत्र के लिए 53149 अभ्यर्थियों को द्वारा दूसरे चरण की काउंसलिंक में संस्थान का विकल्प दिया गया था। जिसमें 41997 को सीट आवंटन हुआ और 11152 के आवेदन निरस्त कर दिए गए।
पहले राउंड में 138442 अभ्यर्थियों को सीटें आवंटित की गई थी लेकिन इनमें से 81826 ने ही दाखिला लिया। जरूरी यह भी नहीं कि दूसरे चरण की कांउसलिंग में छात्रों द्वारा लॉक की गई सीटों पर दाखिला लें। क्योंकि दाखिले की अंतिम तिथि 29 अगस्त है।
जानकारों का मानना है कि बीएड की वजह से डीएलएड के कोर्स में छात्र कम दिलचस्पी दिखा रहें है। ऐसा इसलिए है कि परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में सहायक अध्यापक पद पर नियुक्ति के लिए बीएड की अर्हता होनी चाहिए। दूसरी सबसे बड़ी वजह यह है कि राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद द्वारा जून 2018 में बीएड डिग्रीधारियों को भी प्राथमिक स्कूलों की शिक्षक भर्ती के लिए योग्य मान लिया गया है।
जिसके बाद से डीएलएड के कोर्स में दिलचस्पी रखने वाले छात्रों की संख्या कम हो गई है। क्योंकि बीएड करने के बाद अभ्यर्थी प्राथमिक, उच्च प्राथमिक एवं माध्यमिक स्कूलों में भर्ती के लिए आवेदन कर सकते हैं।
जबकि डीएलएड करने के बाद सिर्फ प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक स्कूलों में ही शिक्षक बनने के लिए पात्र होंगे। सरकार ने उच्च प्राथमिक स्कूलों की सीधी भर्ती पर भी रोक लगा रखी है। इसलिए डीएलएड पात्र अभ्यर्थियों के अवसर प्राथमिक स्कूलों में सहायक अध्यापक भर्ती तक ही सिमट कर रह गया है। जिसका नतीजा मौजूदा शैक्षणिक सत्र में लाखों सीटें का खाली रह जाना है।