सैय्यद मोहम्मद अब्बास
अक्सर जब सत्ता में कोई पार्टी होती है तो उसकी हनक से दूसरी पार्टी सहम जाती है। मौजूदा दौर में मोदी सरकार लगातार विरोधी दलों के नेताओं के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों को प्रकाश में ला रही है। आलम तो यह है कि देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस के आला नेताओं पर भी भ्रष्टाचार के कई मामले खोलने की तैयारी में है मोदी सरकार।
इतना ही नहीं सोनिया और राहुल पर सरकार शिकंजा कसती नजर आ रही है। इसके आलावा गांधी परिवार के करीबियों पर भी भ्रष्टाचार के कई मामलों को लेकर भी सरकार गम्भीर नजर आ रही है। यह कोई नई बात नहीं है सत्ता की हनक से अच्छे-अच्छे लोग निपट जाते हैं।
सरकार में रहकर विरोधियों पर कसी जाती है नकेल
सरकार में आने के बाद विपक्ष के कई नेताओं के पुराने मामले में उजागर किया जाता है और जेल की हवा खिलाने में कोई कसर नहीं छोड़ी जाती है। ताजा मामला 21 अगस्त 2019 को देखने को मिला जब सीबीआई ने पूर्व वित्तमंत्री और कांग्रेस के बड़े नेता चिदंबरम को गिरफ्तार किया।
आईएनएक्स मीडिया प्राइवेट लिमिटेड को मॉरीशस-आधारित तीन कंपनियों द्वारा 305 करोड़ रुपये से अधिक के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की हरी झंडी दिखाई, जिसमें पीटर और इंद्राणी मुखर्जी का स्वामित्व था। मुंबई में आयकर विभाग ने ये केस प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को सौंपा था।
2010 में प्रवर्तन निदेशालय ने विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम के उल्लंघन के तहत आईएनएक्स मीडिया प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ केस दर्ज किया। इसमें चिदंबरम की प्रत्यक्ष भूमिका थी। इसी मामले में चिदंबरम को सीबीआई ने अपनी गिरफ्त में लिया है।
चिदंबरम की गिरफ्तारी को लेकर कई सवाल उठाया जा रहा है। आरोप तो यह लग रहा है कि सरकार के दबाव में यह सब किया गया है। थोड़ा पीछे जाये तो 25 जुलाई 2010 को सीबीआई ने गृहमंत्री व भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को गिरफ्तार किया था। तब भाजपा ने कांग्रेस पर कुछ इसी तरह का आरोप लगाया था। अब आरोप लग रहा है कि मोदी और शाह मिलकर कांग्रेस के लिए परेशानी खड़ी कर रहे हैं।
भ्रष्टाचार के खेल में पहले भी बड़े नेताओं का करियर हुआ खाक
सत्ता में रहकर आप जो भी करे सब सही है लेकिन बाद में सरकार जाने के बाद आपके द्वारा किये गए गलत कामों को दूसरी सरकार सामने लाती है। इतना ही नहीं जेल की हवा भ्रष्टाचार की लपटों में जगन्नाथ मिश्र से लेकर लालू यादव को भी जेल यात्रा पर जाना पड़ा है।
इसके आलावा जयललिता, ए राजा, कन्नीमोझी, सुरेश कलमाड़ी जैसे नेताओं को भ्रष्टाचार के मामले में जेल की रोटी तोडऩी पड़ी है। कई कद्दावर नेताओं को राजनीतिक करियर तब खत्म हो गया है जब भ्रष्टाचार की दलदल में फंसे।
दक्षिण की कद्दावर नेता और तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री रही जयललिता का राजनीतिक करियर उस समय खात्मे ही ओर बढ़ गया था जब आय से अधिक संपत्ति मामले में उनको जेल की यात्रा करनी पड़ी। इस मामले में शशिकला, दत्तक पुत्र रहे सुधाकरन और शशिकला की भांजी पर गम्भीर आरोप लगे थे और दोषी भी पायी गई थी, हालांकि 2016 जयललिता का निधन भी हो गया था।
लालू प्रसाद यादव बिहार की राजनीति में सबसे बड़ा चेहरा माने जाते हैं लेकिन चारा घोटाले में उनका राजनीतिक करियर खत्म हो गया है। आलम तो यह है कि उन्हें अब भी जेल की सलाखों के पीछे बंद किया गया है। साल 1997 में सीबीआई ने लालू यादव के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी। तब उनका कद बहुत बड़ा माना जाता था लेकिन भ्रष्टाचार के इस खेल में उन्हें बिहार की कुर्सी तक छोडऩी पड़ी।
ए राजा और कनिमोझी दक्षिण की राजनीति में बड़ा चेहरा माने जाते हैें। दोनों यूपीए सरकार के दौरान हुए 2जी घोटाले में फंसे और उनका जेल भी जाना पड़ा।
पांच बार तमिलनाडु के मुख्यमंत्री रहे एम करुणानिधि को भी पुलिस ने साल 2001 में ब्रिज निर्माण घोटाले में बेहद नाटकीय अंदाज में गिरफ्तार किया गया था। इसको लेेकर तमिलनाडु में बवाल मचा था।
सुरेश कलमाड़ी ने भले कॉमनवेल्थ गेम्स सफलतापूर्वक कराया हो लेकिन इस खेल को कराने में सुरेश कलमाड़ी भ्रष्टाचार के खेल को खूब अंजाम दिया था।
इसके आलावा सुखराम टेलीकॉम घोटला मामले में 2011 में उन्हें गिरफ्तार किया गया। अहम बात यह है कि सुखराम हिमाचाल राजनीति में बड़ा चेहरा माने जाते हैं।
हरियाणा के पूर्व सीएम ओमप्रकाश चौटाला और उनके बेटे अजय चौटाला को टीचर्स घोटाले में जेल में सजा काट रहे हैं। दोनों ने साल 1999-2000 में हरियाणा में हुई जेबीटी (जूनियर बेसिक टीचर) भर्ती में जमकर भ्रष्टाचार किया है।