विवेक अवस्थी
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का बुधवार को बहुप्रतीक्षित मंत्रिमंडल विस्तार जातिगत समीकरणों के साथ-साथ देश के सबसे अधिक आबादी वाले राज्य की क्षेत्रीय राजनीति को ध्यान में रखते हुए एक लंबी विचार प्रक्रिया का नतीजा है।
उन 23 मंत्रियों में से जिन्हें या तो पदोन्नत किया गया या वे नए चेहरे, सबमे जातिगत कारक स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है । इनमें से छह ब्राह्मण, चार ठाकुर या क्षत्रिय, तीन वैश्य या बनिया और 10 दलित या पिछड़ा वर्ग से हैं।
वित्त मंत्री राजेश अग्रवाल और बेसिक शिक्षा मंत्री अनुपमा जायसवाल ने एक दिन पहले ही इस्तीफा दिया और उनके स्थान पर वैश्य या बनिया को प्रतिनिधित्व देने के लिए उनके समुदाय के तीन मंत्रियों को शामिल किया गया है।
राजभर समुदाय के नेता और योगी मंत्रिमंडल में पूर्व मंत्री ओम प्रकाश राजभर, जिन्हें लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद बर्खास्त कर दिया गया था, उनकी जगह उसी समुदाय से अनिल राजभर को कैबिनेट मंत्री के रूप में पदोन्नत किया गया है।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के प्रभावी गुर्जर समुदाय के नेता और एमएलसी अशोक कटारिया को स्वतंत्र प्रभार के साथ मंत्री बनाया गया है। यहाँ उल्लेखनीय है कि योगी आदित्यनाथ के मंत्रिमंडल में अब तक इस समुदाय का एक भी मंत्री नहीं था।
प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र पर विशेष फोकस
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी पर विशेष ध्यान दिया गया है । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय सीट को प्रतिनिधित्व देने के लिए वाराणसी क्षेत्र के एक और विधायक रवींद्र जायसवाल को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया ।
लेकिन खास बात ये है कि सहयोगी अपना दल (एस) को लगातार उपेक्षित किया जा रहा है । जब केंद्र में नरेंद्र मोदी 2.0 सरकार बनी, तो सभी सहयोगियों को केंद्र सरकार में मंत्री बनाए जाने के लिए एक नाम देने का विकल्प दिया गया।
नीतीश कुमार की जनता दल यूनाइटेड ने मंत्रालय में हिस्सा लेने से इनकार कर दिया शिरोमणि अकाली दल और शिवसेना ने एक-एक नाम दिया, लेकिन स्पष्ट रूप से, अपना दल (एस) की अनुप्रिया पटेल, जो पिछली सरकार में मंत्री थीं, को आमंत्रित नहीं किया गया था।
भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को शायद अनुप्रिया पटेल द्वारा पहले फेंके गए नखरे पर गुस्सा आ गया था जब उन्होंने यह कहकर सरकारी कार्यों का बहिष्कार करना शुरू कर दिया था कि उसे बड़े भाई भाजपा द्वारा अपमानित किया जा रहा है। हालांकि यह माना जा रहा था कि कुर्मी वोट आधार के महत्व को ध्यान में रखते हुए, उनके पति आशीष पटेल, जो राज्य में एमएलसी हैं, को इस बार यूपी में मंत्री बनाया जाएगा। लेकिन यह नहीं हुआ। इसके बजाय, दो अन्य कुर्मी भाजपा विधायकों , राम शंकर सिंह पटेल और नीलम कटियार को शामिल कर लिया गया ।
बिग गन्स आउट ऑफ़ फेवर
योगी आदित्यनाथ के मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने की चर्चा में कुछ प्रमुख नामों को भी निराश होना पड़ा है । इनमें रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के पुत्र और नोएडा के विधायक पंकज सिंह भी शामिल हैं, जिन्हें इस बार मंत्री बनने के लिए प्रमुख दावेदार के रूप में माना जा रहा था ।
संगठन के दो मजबूत चेहरे विद्या सागर सोनकर और विजय बहादुर पाठक, (दोनों एमएलसी) भी मजबूत संभावित नामों में से थे, लेकिन उन्हें भी छोड़ दिया गया।
(विवेक अवस्थी बिज़नेस टेलीविज़न इंडिया – BTVI के वरिष्ठ संपादक-राजनीति हैं)