न्यूज़ डेस्क
लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार के बार- बार निर्देश के बाद भी वाणिज्यकर विभाग के अधिकारी अपनी अचल संपत्तियों का ब्योरा नहीं दे रहे हैं। अप्रैल से अब तक मात्र 50 प्रतिशत अधिकारियों ने संपत्तियों का ब्योरा मुख्यालय को उपलब्ध कराया है। जिन अधिकारियों ने ब्योरा नहीं दिया है उन्हें एक मौका और देते हुए एक सप्ताह में पूरी जानकारी देने को कहा गया है।
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वाणिज्य कर मुख्यालय की ओर से इस संबंध में सभी जोन के एडिशनल कमिश्नर ग्रेड-1 व ग्रेड-2, ज्वाइंट कमिश्नर, असिस्टेंट कमिश्नर, वाणिज्यकर व सांख्यिकीय अधिकारियों के संपत्ति का ब्योरा देने के लिए प्रारूप मार्च में ही भेज दिया गया था।
सभी अधिकारियों को वित्तीय वर्ष 2018-19 तक की संपत्तियों का ब्योरा इसी प्रारूप पर हर हाल में 30 अप्रैल तक देने के निर्देश दिए गए थे। लेकिन अंतिम तिथि बीतने के करीब 4 महीने बाद भी मात्र 1262 अधिकारियों ने ही अपनी संपत्ति का ब्योरा मुख्यालय को उपलब्ध कराया है।
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जबकि विभाग के अधिकारी संवर्ग की कुल संख्या 2450 के करीब है। इस तरह अब तक सिर्फ 50 प्रतिशत अधिकारियों ने जानकारी दी है।
संपत्ति की जानकारी देने के लिए मुख्यालय से अब तक कई बार रिमाइंडर भी भेजा गया, लेकिन 50 प्रतिशत अफसरों ने ब्योरा नहीं दिया।
अधिकांश अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं। विभाग की ओर से एक बार फिर सख्त आदेश जारी किए गए हैं। इसमें कहा गया है कि एक सप्ताह में ब्योरा न देने वाले अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।
अधिकारियों व कर्मचारियों को मौजूदा संपत्तियों के साथ ही भविष्य में अर्जित की जाने वाले संपत्तियों की भी घोषणा करनी होगी। ताकि पांच साल बाद फिर से दिए जाने ब्योरे से घोषित संपत्तियों का मिलान किया जा सके।
संपत्तियों का ब्योरा भेजने के लिए तैयार प्रारूप में शहरी संपत्तियों के अलावा गांव की संपत्तियों का भी उल्लेख अनिवार्य रूप से करना होगा। इसी तरह पैतृक व अर्जित संपत्तियों का अलग- अलग ब्योरा देने के निर्देश हैं। प्रारूप में भूमि और मकानों का अलग जिक्र भी करना होगा।