न्यूज़ डेस्क
नयी दिल्ली। सोसायटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (सियाम) की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार भारत के घरेलू यात्री वाहनों की बिक्री जुलाई में 30.9 फीसदी घट गई है। जुलाई महीने में भी वाहन सेक्टर में निराशाजनक ट्रेंड जारी रहा।
सियाम की रिपोर्ट में कहा गया है कि पैसेंजर्स कार की बिक्री सालाना आधार पर 36 फीसदी घटकर 1.22 लाख यूनिट रह गई है। कॉमर्शियल वाहनों की बिक्री भी सालाना आधार पर 26 फीसदी घटकर 56,866 यूनिट रह गई है।
जुलाई महीने में पैसेंजर व्हीकल की बिक्री 31 फीसदी घटकर दो लाख यूनिट रही, जबकि मीडियम एंड हैवी कॉमर्शियल वाहनों की बिक्री सालाना आधार पर 37.5 फीसदी घटकर 17,722 यूनिट रह गई है। वाहन उद्योग में एक साल से जारी संकट के कारण लगभग 13 लाख लोगों की नौकरी चली गयी है और जुलाई में देश में वाहनों की बिक्री में सदी की सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गयी।
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बिक्री के आँकड़े जारी करते हुये सियाम के महानिदेशक विष्णु माथुर ने विभिन्न स्रोतों से प्राप्त आंकड़ों का हवाला देते हुये कहा कि वाहन उद्योग में एक साल से जारी मंदी के कारण तकरीबन 13 लाख लोगों की नौकरियाँ गयी हैं। उन्होंने कहा कि सबसे बुरा प्रभाव वाहनों के कलपुर्जे बनाने वाली कंपनियों पर पड़ा है।
करीब 300 डीलरशिप बंद हो चुके हैं और डीलरों ने दो लाख 30 हजार लोगों को नौकरी से निकाला है। सियाम ने जिन 10-15 वाहन निर्माता कंपनियों के आंकड़े एकत्र किये हैं उन्होंने भी 15 हजार लोगों को निकाला है। सबसे ज्यादा गाज अस्थायी कर्मचारियों पर गिरी है।
माथुर ने कहा कि सियाम कई महीने से सरकार से राहत पैकेज की मांग कर रहा है और यदि जल्द इसकी घोषणा नहीं की गयी तो संकट गहरा जायेगा। उन्होंने कहा “जो स्थिति है उससे लगता है कि संकट और गहरा गया है। आँकड़ों से स्पष्ट की किस प्रकार राहत पैकेज की अविलंब जरूरत है। वाहन उद्योग अपनी तरफ से बिक्री बढ़ाने के उपाय कर रहा है। सरकार को भी हरकत में आना होगा।
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माथुर ने कहा कि मानसून अच्छा रहा है। साथ ही आगे त्योहारी मौसम है और भारत स्टेज-4 वाले वाहनों की खरीद बढ़ने की उम्मीद है। इन सभी कारकों से चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में बिक्री बढ़ने की उम्मीद है। लेकिन ऐसा होता है तो ठीक है नहीं तो कई कंपनियां बंदी के कगार पर पहुंच जाएगी।
ऑटो इंडस्ट्री पर कम किया जाए जीएसटी
वाहन विनिर्माताओं के संगठन सियाम ने कहा कि उद्योग वाहनों पर माल एवं सेवा कर को तत्काल घटाकर 18 प्रतिशत किये जाने की मांग को लेकर एकमत है। सभी वाहन निर्माता जीएसटी दर में तत्काल कटौती की जरूरत को लेकर सहमत हैं।
इनमें दोपहिया मूल उपकरण विनिर्माता (ओईएम) भी शामिल हैं। वर्तमान में वाहनों पर 28 प्रतिशत की जीएसटी के अलावा एक प्रतिशत से लेकर 22 प्रतिशत तक का उपकर लगता है।