न्यूज डेस्क
जनता में पुलिस की छवि यूं ही नहीं खराब है। पुलिस अपने कृत्यों की वजह से ही बदनाम है। पुलिस में न तो मानवता बची है और न ही डर। शायद इसीलिए दिन-प्रतिदिन पुलिस की छवि खराब होती जा रही है। मध्य प्रदेश में पुलिस का अमानवीय चेहरा सामने आया है।
एमपी के अलीराजपुर जिले में स्थित नानपुर पुलिस स्टेशन के प्रभारी सहित चार पुलिसकर्मियों पर गंभीर आरोप लगा है। चारों पुलिसकर्मियों पर हिरासत में लिए गए पांच आदिवासी युवकों को प्रताडि़त करने और पानी मांगने पर उन्हें पेशाब पीने के लिए मजबूर करने का आरोप है। फिलहाल इन चारों को निलंबित कर उनके खिलाफ जांच शुरु कर दिया गया है।
इंडियन एक्सप्रेस के खबर के अनुसार, इस मामले में अलीराजपुर पुलिस अधीक्षक विपुल श्रीवास्तव ने कहा कि तीन दिन पहले हिरासत में लिए गए युवकों की पुलिसकर्मियों द्वारा पिटाई के प्रथम दृष्टया लगाए गए आरोप सही पाए गए हैं। पांचों के शरीर पर चोट के निशान भी हैं।
आदिवासी युवकों को कथित तौर पर एक पुलिस अधिकारी पर हमले के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। उत्पीडऩ और प्रताडऩा के आरोप के बाद पांचों आदिवासी युवकों को वहां से हटा दिया गया है।
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आदिवासी युवकों के खिलाफ आईपीसी की धारा 353 (लोक सेवक को उसके कर्तव्य के निर्वहन से रोकने के लिए हमला या आपराधिक बल) के तहत मामला दर्ज किया गया था। एक स्थानीय अदालत ने उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया है।
वहीं पुलिस का दावा है कि पांचों युवकों का एक अन्य युवक के साथ विवाद था जिसने उनमें से एक की बहन को कथित तौर प्रताड़ित किया था। वे उस युवक का पीछा कर रहे थे और तभी उसने पुलिस की एक गाड़ी को रोककर मदद मांगी। पूछताछ किए जाने पर पांचों युवकों ने कथित तौर पर पुलिस अधिकारी की पिटाई कर दी। अन्य युवक ने पांचों के खिलाफ कोई शिकायत नहीं दर्ज कराई है लेकिन वह पुलिस अधिकारी पर हमले का गवाह है।
पुलिस अधीक्षक विपुल श्रीवास्तव ने कहा कि पुलिसकर्मियों के खिलाफ जांच जल्द से जल्द पूरी कर ली जाएगी और उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
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