अविनाश भदौरिया
गोवा और कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार गिराने के बाद बीजेपी की नजर मध्यप्रदेश पर है। यहां तक की विपक्ष के नेता गोपाल भार्गव ने विधानसभा में बयान दिया है कि, उनके ऊपर वाले नंबर 1 या नंबर 2 का आदेश हुआ तो 24 घंटे भी कमलनाथ की सरकार नहीं चलेगी।
वहीं मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के दो विधायकों ने कमलनाथ सरकार के समर्थन में मतदान किया है। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने विपक्ष को चुनौती दी है कि वह जब चाहे सदन में बहुमत का टेस्ट करा ले।
कमलनाथ ने बीजेपी विधायकों को अपने पक्ष में करके बीजेपी के मंसूबों पर पानी तो फेर ही दिया है। एक ओर जहां सभी लोग मध्यप्रदेश की कांग्रेस सरकार के गिरने की चर्चा कर रहे है थे, वहीं कमलनाथ ने कमाल दिखाते हुए अपनी ताकत का अहसास करा दिया है।
वोटिंग के बाद सीएम कमलनाथ ने कहा कि, कई दिनों से ये बात चल रही थी कि ये सरकार अल्पमत में है। लेकिन आज दंड संशोधन विधेयक के दौरान हुई वोटिंग में भाजपा के दो विधायकों ने हमारे पक्ष में वोट किया। इसमें मैहर से भाजपा विधायक नारायण त्रिपाठी और ब्यौहारी के विधायक शरद कोल हैं।
उन्होंने कहा कि, “मुझे ये बात साबित करनी थी कि ये सरकार अल्पमत में नहीं थी और आज विधेयक के पक्ष में हुई वोटिंग से ये साफ हो गया है। इतना ही नहीं बसपा, सपा और निर्दलीय विधायक भी हमारे साथ हैं। इस मौके पर शरद कोल ने कहा कि, मेरी घर वापसी हुई है।”
कमलनाथ ने एक तीर से साधे दो निशाने
बता दें कि मुख्यमंत्री कमलनाथ अपने इस कदम से सिर्फ बीजेपी को सबका सिखाने में ही कामयाब नहीं हुए हैं बल्कि उन्होंने कांग्रेस के भीतर अपने खिलाफ उठने वाली आवाज को भी दबाने में कामयाबी हासिल की है। गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की हार के बाद राहुल गांधी ने अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है। राहुल के इस्तीफे की वजह पार्टी के कुछ नेताओं से उनकी नाराजगी बताई गई है। राहुल जिन नेताओं से नाराज चल रहे हैं उसमें कमलनाथ का भी नाम शामिल है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, राहुल चाहते थे कि, एमपी और राजस्थान के सीएम अपने राज्यों में हार की जिमेदारी लें और पद से इस्तीफा दें, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। वहीं गोवा और कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार गिरने के बाद कमलनाथ ने जिस तरह बीजेपी को झटका दिया है उसके बाद उन्हें कांग्रेस के अन्य नेताओं में बढ़त मिलना तय है।
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