शबाहत हुसैन विजेता
प्यार वह संगीत है जो सांसों में घंटियां बजा देता है। प्यार वह राह है जिस पर चलने में ज़िन्दगी का भरपूर मज़ा मिलता है। प्यार वह गीत है जिसकी लय पर ज़िन्दगी सदियों से चली आ रही है। नफरत करने वालों को प्यार करने की सलाह दी जाती है।
पैदा होने के बाद मां का प्यार न मिले तो बच्चा आंख खोलने के लायक भी न बने। बच्चे को बाप का प्यार न मिले तो वह जीने की उमंग ही न हासिल कर पाये। उसे अपने दादा-दादी, नाना-नानी का प्यार न मिले तो उसे बुजुर्गों से रिश्तों की समझ ही न मिल पाये।
जवानी का प्यार बिल्कुल अलग किस्म का होता है। इस प्यार को हासिल करने के लिये इंसान किसी भी हद तक जाने को तैयार हो जाता है। कई बार इस प्यार को मां-बाप स्वीकार कर लेते हैं और अपने बच्चों की पसंद के रिश्तों को अपनी रजामंदी दे देते हैं लेकिन कई बार उन्हें लगता है कि उनके बच्चे ने जिसे अपने लिये चुना है वह उसे लम्बे वक्त तक खुश नहीं रख पायेगा।
मां-बाप जिस रिश्ते के लिये मना करते हैं ज्यादातर वह सही साबित होते हैं। कई बार प्यार करने वालों की सोच भी सही होती है लेकिन मां-बाप का एक्सपीरियंस ज्यादा मायने रखता है।
मेरे एक पत्रकार दोस्त ने लव मैरिज की। उनके घर वाले राजी थे लेकिन लड़की के घर वालों को एतराज था। मंदिर में लड़के के घर वालों और दोस्तों ने जमा होकर शादी कर ली। वह कोर्ट मैरिज पहले ही कर चुके थे। इस शादी के बाद भी रात को लड़की अपने घर चली गयी और सुबह फिर वापस लौट आयी। यह सिलसिला कई महीने चला लेकिन एक दिन लड़की के घर वालों को शादी का पता चल गया।
लड़की के पिता सीबीआई में इंसपेक्टर थे। लड़की के मां-बाप लड़के के घर पहुंचे, उन्होंने खूब हंगामा मचाया। खूब बुरा भला कहा। लड़के के खिलाफ रिपोर्ट लिखाने के लिये थाने भी गये। लड़का एक बड़े अखबार में रिपोर्टर था इसलिये रिपोर्ट नहीं लिख पायी।
इस घटना के बाद लड़की ने अपने घर जाना बन्द कर दिया। इस पूरे मामले की सबसे खास बात यह रही कि लड़के के घर वालों और दोस्तों ने लड़की के मां-बाप से तेज आवाज में बात भी नहीं की। उनके सारे अपशब्दों को चुपचाप सह लिया। नतीजा यह हुआ कि लड़की के मां-बाप इस शर्त पर इस रिश्ते के लिये मान गये कि लड़की अपने घर वापस आ जाये। हम खुद उसकी शादी कर देंगे लेकिन उसके बाद लड़की से कभी नहीं मिलेंगे। हम लोगों को भी डर था कि कहीं लड़की को अपने घर ले जाकर मार देंगे तो सीबीआई इंसपेक्टर का हम लोग क्या बिगाड़ लेंगे। यह डर उनके सामने जाहिर किया तो रोने लगे। बोले कि इस लड़की को कंधे पर बिठाकर घुमाया हूं। उंगली पकड़कर स्कूल छोड़ने गया हूं, उसे मारने से पहले खुद मर जाऊंगा।
उन्होंने वादा निभाया और बहुत अच्छे से शादी की। कुछ दिन बाद दोनों परिवार भी मिलने लगे। आज हमारे मित्र उस परिवार के सबसे अच्छे दामाद हैं। ससुराल के लोग यह बात कभी नहीं भूले कि हमने इतना भला बुरा कहा लेकिन लड़का मुंह झुकाये बैठा रहा।
दोस्त की लव मैरिज एक जमाने के बाद अचानक इसलिये याद आ गई क्योंकि एक विधायक की बेटी ने घर से भागकर शादी करने के बाद अपने बाप की इज्जत की बारात निकाल दी। सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल कर अपने बाप से अपनी जान बचाने के लिये शोर मचा दिया। एसएसपी को चिट्ठी लिख दी।
अरे वह बाप तो उसी वक्त मर गया जिसकी बेटी भाग गयी। वह बाप किस मुंह से अपने घर से बाहर निकलेगा। वह शादी कर अपने घर से गायब हो जाती। कुछ साल के बाद घर वाले खुद ही रिश्ता स्वीकार लेते। न भी स्वीकारते तो भी वह अपने उस प्यार के सहारे जी सकती थी जिसके भरोसे उसने अपने बाप की इज्जत को अपनी जूतियों तले रौंद दिया है।
लड़की ने सोचा होगा कि इस वीडियो की वजह से उसे न सिर्फ सुरक्षा मिलेगी बल्कि पिता पर इस रिश्ते को स्वीकारने को मजबूर होना पड़ेगा। लेकिन इस बार समाज लड़की के साथ नहीं पिता के साथ खड़ा है। वास्तव में समाज अब दिल से नहीं दिमाग से फैसला करना सीख गया है। वह विधायक हैं, सत्ताधारी पार्टी के हैं तो गलत ही होंगे यह कौन सी सोच है।
सीधी सी बात है कि वह उस लड़की के बाप हैं जिसे उन्होंने कंधे पर बिठाकर घुमाया होगा। जिसे वह उंगली पकड़कर स्कूल ले गये होंगे। जिसकी हर फरमाइश उन्होंने पूरी की होंगी। जो हमेशा उन्हें एक परी की तरह नजर आती होगी। उसने अपने पिता की इज्जत में नहीं बेटी शब्द की विश्वसनीयता पर दाग लगाया है। बेटी पर हर बाप को नाज होता है। उस नाज को कलंकित कर गयी है यह बेटी।
बेटियां प्यार की मूरत होती हैं। वह चहकती हैं तो घर महकता है। बाप की मौत की खबर बेटियों के रोने की आवाज के साथ घर से बाहर निकलती है। बेटियां भरोसा होती हैं परिवार का। एक बेटी ने भरोसा तोड़ा है समाज का। इस बेटी के गुनाह की सजा एक बाप उम्र भर भुगतेगा।
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