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असम में कविता लिखने पर क्यों हुई एफआईआर

न्यूज डेस्क

असम में पिछले काफी दिनों से असम नागरिकता को लेकर विवाद चल रहा है। लोग विरोध में तरह-तरह से अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे हैं, जो पुलिस को रास नहीं आ रही। ऐसे ही दस लोगों के खिलाफ 11 जुलाई को एफआईआर दर्ज किया गया है जिन्होंने असम नागरिकता विवाद को लेकर कविता लिखी थी।

जिन लोगों के खिलाफ शिकायत दर्ज की गई उनमें से अधिकतर लोग बंगाल मूल के मुस्लिम कवि और एक्टिविस्ट है, जो जिस भाषा में लिखते हैं उसे ‘मिया’ बोली कहा जाता है।

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गुवाहाटी सेंट्रल के पुलिस उपायुक्त धर्मेंद्र कुमार दास ने कहा, ‘हां, आज एक एफआईआर दर्ज की गई है। अभी तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है। उन पर आईपीसी की धारा 420 और 406 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। इसके साथ ही कॉपीराइट अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत भी मुकदमा दर्ज किया गया है।’

खुद के खिलाफ एफआईआर दर्ज किए जाने पर एक्टिविस्ट अब्दुल कलाम आजाद ने कहा, ‘क्या हमें वास्तविक नागरिकों पर कविता
लिखने का भी अधिकार नहीं है जिन्हें संदिग्ध नागरिकों की श्रेणी में रखा गया हो या नजरबंदी शिवरों में भेजा जा रहा है?

एक शख्स प्रणबजीत दोलोई की शिकायत में कहा गया, ‘आरोपियों की मंशा पूरी दुनिया की नजरों में असम लोगों की छवि जेनोफोबिक के रूप में चित्रित करने की है, जो असम के लोगों के साथ-साथ देश की राष्ट्रीय सुरक्षा और सौहार्दपूर्ण सामाजिक माहौल के लिए भी गंभीर खतरा है। इस कविता का वास्तविक उद्देश्य कानून सिस्टम के खिलाफ समुदायों को भड़काना है।’

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गौरतलब है कि असम में अवैध प्रवासियों की पहचान करने के लिए एनआरसी का मसौदा तैयार किया जा रहा है। हाल ही में असम में अयोग्य पाए जाने के बाद एनआरसी के मसौदे से एक लाख से अधिक लोगों के नाम हटाए गए हैं, जो पिछले साल 30 जुलाई को प्रकाशित सूची से हटाए गए 40 लाख नामों के अतिरिक्त हैं।

असम में एनआरसी का मसौदा सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में अपडेट किया जा रहा है और इसकी अंतिम सूची 31 जुलाई को जारी होनी है।

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