न्यूज डेस्क
अब जेल में कैदियों की सोच बदलने और उनके मानसिक तनाव को कम करने के लिए जेल प्रशासन कैदी बैंड बनाने जा रहा है। जी हां हमारे देश के एक जेल में कैदी बैंड बनाया जा रहा है इस बैंड में कैदी ही वाद्य यंत्र बजाएंगे, गाएंगे साथ ही डांस कर लोगों का मनोरंजन करेंगे। उत्तर प्रदेश के पड़ोसी राज्य बिहार के भागलपुर केंद्रीय जेल में प्रशासन ने यहां के कैदियों को संगीत की शिक्षा दिलाकर एक आर्केस्ट्रा टीम तैयार की है।
गौरतलब है कि भागलपुर केन्द्रीय जेल का प्रशासन कैदियों की सोच बदलने के लिए संगीत सिखाने के प्रयास में जुटी है। जेल प्रशासन के एक अधिकारी ने बताया कि इससे जुड़े 22 सजायाफ्ता कैदियों की एक टीम तैयार की गई है, जिन्हें कोलकाता और भागलपुर से कलाकार आकर प्रशिक्षण दे रहे हैं।
इन कैदियों को प्रशिक्षित कर ‘कैदी बैंड’ के साथ एक आर्केस्ट्रा टीम तैयार की गई है। इसमें आठ से दस कैदी गायक और डांसर हैं। जेल प्रशासन का मानना है कि कैदियों को संगीत से जोड़कर उनके मानसिक तनाव को कम किया जा सकता है, जिससे उनके जीवन में बदलाव के साथ उनके अंदर की आपराधिक प्रवृत्ति को समाप्त किया जा सकता है।
विशेष केंद्रीय कारा के जेलर सुधीर शर्मा ने बताया कि जेल में स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस, गांधी जयंती जैसे राष्ट्रीय पर्वो के मौकों पर बैंड बजाया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस साल 15 अगस्त को कैदी सांस्कृतिक इकाई और बैंड का शुभारंभ किया जाएगा। इसके अलावा हर सप्ताह सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन भी किया जाएगा जिससे उनकी प्रेक्टिस बनी रहे। जेल प्रशासन का कहना है कि संगीत सीख चुके कैदी आने वाले समय में अन्य कैदियों को प्रशिक्षण देंगे। अभी कैदियों को प्रतिदिन चार से पांच घंटे संगीत सिखाया जा रहा है।
जेल प्रशासन ने कराया 25 लाख रुपये की लागत से स्टेज निर्माण
इसके लिए जेल प्रशासन करीब 25 लाख रुपये की लागत से जेल के अंदर स्टेज का निर्माण करा रहा है।इसके अलावा सरकारी खर्चे पर बैंड और आर्केस्ट्रा के आवश्यक इंस्ट्रूमेंट और साज-सज्जा के सामान भी खरीदे गए हैं। निर्माण कराए गए स्टेज पर कैदी अपनी कलाओं का प्रदर्शन करेंगे और अन्य दर्शक कैदियों के बैठने की व्यवस्था के लिए गैलरी का निर्माण कराया जा रहा है।
जेल प्रशासन दवारा उठाए गए इस कदम से जेल के अंदर का माहौल बदलेगा। एक जेल अधिकारी ने कहा कि संगीत के कार्यक्रमों से न केवल कैदियों का मनोरंजन हो सकेगा, बल्कि उनकी मानसिक तौर पर अशांत कैदियों को आत्मिक शांति भी मिलेगी।