न्यूज़ डेस्क
नई दिल्ली। सरकार ने मॉडल किराया कानून का ड्राफ्ट तैयार कर लिया है। दरअसल मोदी सरकार मकान मालिकों और किराएदारों के बीच होने वाले विवादों को कम करने के लिए ये नया कानून लाने जा रही है। इसकी चर्चा बजट भाषण में भी वित्त मंत्री ने की थी।
सरकार नियमों में बदलाव कर किराए के घरों की उपलब्धता को और बढ़ाना चाहती है। सरकार ने इस ड्राफ्ट में मकान मालिक और किराएदार दोनों के हितों का ध्यान रखा है। बजट पेश करते हुए सीतारमण ने कहा था कि सरकार रेंटल हाउसिंग के लिए आदर्श किराया कानून बनाएगी।
बजट में किए गए इसी वायदे पर अमल करते हुए किराया कानून का मॉडल ड्राफ्ट केंद्र सरकार ने तैयार किया है। इस ड्राफ्ट में 2 महीने का ही किराया एडवांस लेने की व्यवस्था की गई है। ड्राफ्ट के मुताबिक कोई भी मकान मालिक 2 महीने से ज्यादा का किराया एडवांस के तौर पर नहीं ले सकता।
इस ड्राफ्ट में यह भी प्रावधान किया गया है कि यदि कोई किराएदार तय वक्त से ज्यादा किसी मकान में रहता है। ऐसे में उसे पहले 2 महीने के लिए दोगुना किराया देना होगा। यदि 2 महीने से ज्यादा समय तक वह रहता है तो उसे 4 गुना किराया देना होगा।
इस ड्राफ्ट को आवास और शहरी विकास मामलों के मंत्रालय ने संबंधित पक्षों के पास सुझाव देने के लिए भेजा है। इस पर उनके सुझाव मिलने के बाद इस ड्रा्फ्ट को कानून बनाने के लिए कैबिनेट की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा।
बता दें कि केंद्र सरकार के एक सर्वे के मुताबिक मेट्रोपोलिटन सिटी और शहरों में इस वक्त करीब 1.1 करोड़ से अधिक मकान/फ्लैट खाली पड़े हैं। इसकी वजह ये है कि किराएदारों से होने वाले विवाद से मकान मालिक बचना चाहते हैं।
मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार सरकार मकान मालिकों के डर को खत्म करने और उनको मकान किराए पर देने के लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से ये आदर्श कानून को तैयार किया है।