न्यूज़ डेस्क।
कश्मीर को लेकर सियासत गरमाई हुई है। इसी बीच संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय (OHCHR) की एक रिपोर्ट के अपडेट आने के बाद कश्मीर का मुद्दा फिर चर्चा में आ गया है।
कश्मीर को दुनिया का स्वर्ग कहा जाता है लेकिन इस कश्मीर की पहचान अब सिर्फ आतंकवाद और सियासत के लिए बन के रह गई है। इस खूबसूरत जगह पर लोगों का जीना दुश्वार हो गया है। कई वर्षों से यहां के स्थानीय निवासी भय और आतंक के साए में जी रहे हैं।
कश्मीर की इस दुर्दशा के लिए कौन जिम्मेदार है, इस बात पर अक्सर बहस होती है लेकिन इसके समाधान के लिए कोई ख़ास रणनीति नहीं बनाई जाती। घाटी में शायद ही कोई ऐसा दिन बीतता होगा जब कोई आम नागरिक या जवान अपनी जान गंवाता हो लेकिन इन मौतों पर चिंता किसी को नहीं बस जब चर्चा होती है तो आरोप और प्रत्यारोप शुरू हो जाता है।
रिपोर्ट में क्या दावा किया गया
कश्मीर मामले पर संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय (OHCHR) ने अपनी एक जारी की गई रिपोर्ट का अपडेट सोमवार को दिया है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि, “ कश्मीर में “गंभीर मानव अधिकारों का उल्लंघन” किया गया है। वहीं भारत और पाकिस्तान ने कई चिंताओं को दूर करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया है।”
इसके आलावा रिपोर्ट में “अतीत और वर्तमान में चल रहे मानवाधिकारों के उल्लंघन और कश्मीर में लोगों को न्याय दिलाने” जैसे वाक्यो को संबोधित करने की तत्काल आवश्यकता के लिए भी कहा गया है।
भारत ने जताई नाराजगी
MEA:Situation created by years of cross-border terrorist attacks from Pakistan has been ‘analysed’ without reference to its causality. Update seems to be contrived effort to create artificial parity b/w world’s largest democracy&a country that practices state-sponsored terrorism. https://t.co/ERjjf2un7F
— ANI (@ANI) July 8, 2019
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय के इस दावे पर भारत सरकार ने कड़ी आपत्ति जताई है और विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने इस रिपोर्ट को भारतीय राज्य जम्मू और कश्मीर में स्थिति पर पहले की झूठी और प्रेरित कहानी का एक हिस्सा बताया है।
विदेश मंत्रालय का यह भी कहना है कि संयुक्त राष्ट्र के उच्चायुक्त मानवाधिकार (OHCHR) के कार्यालय ने पाकिस्तान से निकलने वाले सीमा पार आतंकवाद के मूल मुद्दे की अनदेखी की है।
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