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आम आदमी पार्टी के प्रमुख अरविंद केजरीवाल और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच राजनीतिक मतभेद जग जाहिर हैं। दिल्ली की केजरीवाल सरकार और केंद्र सरकार के बीच अक्सर किसी न किसी मुद्दे को लेकर लड़ाई जारी रहती है। लेकिन अब अरविंद केजरीवाल ने पीएम मोदी की तर्ज पर भ्रष्ट अधिकारियों पर लगाम लगाने का फैसला लिया है।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने उपराज्यपाल अनिल बैजल के साथ मुलाकात करके भ्रष्ट अधिकारियों की जबरन सेवानिवृत्ति के मुद्दे पर विचार विमर्श किया। सीएम केजरीवाल और डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने इस मसले पर दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल के साथ बैठक की।
सीएम केजरीवाल ने सभी कैबिनेट सदस्यों को अपने-अपने विभागों में ऐसे अधिकारियों एवं कर्मचारियों की एक लिस्ट तैयार करने का निर्देश दिए हैं, जिससे उन्हें जबरन सेवानिवृत्त किया जा सके। यह सेंट्रल सिविल सर्विसेस (पेंशन) रूल्स, 1972 के फंडामेंटल रूल 56 (जे) के तहत ऐसे अधिकारियों और कर्मचारियों को रिटायर करने की केंद्र सरकार की पहल के अनुसार ही होगा।
केजरीवाल सरकार का कहना है कि ऐसे भ्रष्ट अधिकारी दिल्ली के लोगों के लिए बनाई जाने वाली विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं को तबाह कर देते हैं और जनता के हक के पैसों से अपनी जेबें भरते हैं।
दिल्ली सरकार ने अपने बयान में कहा है कि गत साढ़े चार वर्षों के दौरान दिल्ली सरकार की नज़र में ऐसे कई अधिकारी आए, जिन्होंने जनता के हित की लोक कल्याणकारी नीतियों की खिलाफत की और दिल्ली के लोगों के हितों को नुकसान पहुंचाया है।
पीएम मोदी भी भष्ट अधिकारियों पर हैं सख्त
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी शासित राज्यों में भ्रष्ट अधिकारियों की पहचान करके उन्हें जबरन रिटायरमेंट देने की शुरुआत काफी पहले ही चुकी है। अब दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने इस पहल को आगे बढाने का फैसला लिया है।
माना जा रहा है कि केजरीवाल सरकार के इस कदम से एक ओर जहां भ्रष्टाचार पर लगाम लगेगी वहीं दूसरी ओर केंद्र और दिल्ली की सरकार के बीच के तनाव में भी कमी आएगी।