न्यूज डेस्क
नरेंद्र मोदी के दोबारा सत्ता संभालने के कुछ दिन बाद देश में बेरोजगारी को लेकर जो आंकड़े सामने आए उसमे बताया गया कि देश में बेरोजगारी की दर 45 साल के उच्च स्तर पर पहुंच गई है।
सरकार के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, देश में जुलाई 2017 से लेकर जून 2018 के दौरान एक साल में बेरोजगारी 6.1 फीसदी बढ़ी। हालांकि, चुनाव के समय इसे सरकार ने नहीं माना था, चुनाव के खत्म होने के कुछ दिन बाद ही सरकार ने इन आकांड़ो को स्वीकार कर लिया था।
इस बीच अब सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) की बेरोजगारी पर नए आंकड़ों से सरकार की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। सीएमआईई की नई रिपोर्ट के मुताबिक इस साल जून में बेरोजगारी दर के आंकड़े 33 महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गए।
गौरतलब है कि मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का यह पहला महीना था। नरेंद्र मोदी की अगुवाई में एनडीए सरकार का गठन 30 मई को हुआ था।
सीएमआईई की रिपोर्ट में बताया गया है कि इस साल जून में बेरोजगारी दर के आंकड़े बढ़कर 7.91 फीसदी पर पहुंच गए हैं। इससे पहले जून 2018 में ये दर 6.1 फीसदी थी। जबकि मई 2019 में यह आंकड़ा 7.2 फीसदी पर पहुंच गया था। वहीं अगर रोजगार की दर के आंकड़ों की बात करें तो जून, 2019 में यह 39.42 फीसदी पर था।
रोजगार दर के आंकड़े जनवरी, 2016 के बाद सबसे निचले स्तर पर हैं। सीएमआईई की रिपोर्ट में कहा गया, ” जून के पहले हफ्ते में बेरोजगारी दर के आंकड़े 9 फीसदी पर थे हालांकि इसके बाद गिरावट शुरू हो गई। महीने के आखिरी हफ्ते में यह 7 फीसदी तक लुढ़क गया।”
रिपोर्ट के मुताबिक 2019-20 की पहली तिमाही में रोजगार की दर 39.6 फीसदी थी. 2016 के बाद से यह रोजगार की सबसे कम तिमाही दर है। मार्च 2019 की तिमाही के दौरान रोजगार दर के आंकड़ों में 39.7 फीसदी से 39.9 फीसदी की वृद्धि हुई है।
यह रिपोर्ट ऐसे समय में आई है जब सरकार ने केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) के बीते दिनों के बेरोजगारी के आंकड़ों को भ्रामक बताया है। इस बीच मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार शहरी क्षेत्र में रोजगार योग्य युवाओं में 7.8 प्रतिशत बेरोजगार रहे, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में यह अनुपात 5.3 प्रतिशत रहा।
इसके अलावा अर्थव्यवस्था के लिहाज से भी चौथी तिमाही अच्छी नहीं रही। कृषि और विनिर्माण क्षेत्र में कमजोर प्रदर्शन के चलते वित्त वर्ष 2018-19 की चौथी तिमाही में देश की आर्थिक वृद्धि दर धीमी पड़कर पांच साल के न्यूनतम स्तर 5.8 प्रतिशत पर पहुंच गयी। इससे पहले वित्त वर्ष 2017-18 की चौथी तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर 7.2 प्रतिशत रही थी।