सैय्यद मोहम्मद अब्बास
उत्तर प्रदेश की सियासत में मुलायम का कद सबसे बड़ा माना जाता है। उत्तर प्रदेश की राजनीति में लगातार उठापटक देखने को मिल रही है। सपा और बसपा के रास्ते अब अलग हो चुके हैं। माया-अखिलेश के रिश्ते भी दरार आ चुकी है। मायावती के रास्ते अलग हो चुके हैं। आलम तो यह है कि मायावती ने साफ कर दिया है कि वह अब किसी से आगे गठबंधन नहीं करेगी यानी सपा से अलग होकर चुनाव लडऩे की घोषणा की है। दूसरी ओर अखिलेश यादव ने मायावती के खातिर अपने परिवार तक को ताक पर रख दिया था। इतना ही नहीं डिम्पल यादव ने मायावती के पैर तक छुआ था। इसके बाद राजनीति गलियारों में कई बाते सामने आई थी।
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अखिलेश और शिवपल में अब भी टेंशन
अखिलेश के चाचा शिवपाल यादव ने भी सपा के इस कदम पर कड़ी प्रतिक्रिया दी थी। उधर लोकसभा चुनाव में करारी शिकस्त के बाद सपा में बदलाव की बात कही जा रही थी लेकिन मुलायम की तबियत खराब हो गई थी इसके बाद से कुछ फैसले नहीं लिये जा सके हैं। शिवपाल यादव को लेकर भी खबर आ रही थी सपा में दोबारा शामिल हो सकते हैं लेकिन कयास तो यहां तक लगा था कि अखिलेश से दोबारा उनके चाचा हाथ मिलाकर सपा को दोबारा जिंदा करना चाहते हैं।
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लेकिन शिवपाल को पता है सपा कमजोर हो चुकी है
उधर शिवपाल यादव ने मौके को भापते हुए सपा से दूरी बना ली है। शिवपाल ने साफ कर दिया है कि सपा के साथ दोबारा जाने का कोई मतलब नहीं है। उन्होंने कहा था कि अभी प्रसपा को अगले चुनाव के लिए तैयार करना चाहता है। प्रसपा ने इस वजह से उपचुनाव से भी किनारा कर लिया है। राजनीति के विशेषज्ञ गिरीश चंद्र तिवारी ने बताया कि सपा की जो हालत है वो शिवपाल को पता है। शिवपाल को ये अभास है कि डूबते हुई कश्ती में सवारी करना उनके हक में नहीं है। मुलायम की बीमारी की वजह से अखिलेश अलग-थलग पड़ चुके हैं और सपा भी खत्म होती नजर आ रही है। इस वजह से अखिलेश के साथ जाना शिवपाल को पसंद नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि शिवपाल अपनी पार्टी प्रसपा को अगली सपा बनाना चाहते हैं। इस वजह से उसे मजबूत करने में लगे हुए है।