सैय्यद मोहम्मद अब्बास
लखनऊ। अखिलेश यादव और मायावती के साथ गठबंधन केवल चुनाव तक के लिए था। दोनों के बीच में दरार आ चुकी है। मायावती ने सोमवार को इस बाद की पुष्टि करते हुए कहा कि वह अगला चुनाव अकेले लड़ेगी। मायावती के तेवर से अब लगने लगा है कि वह आगे शायद ही अखिलेश यादव के साथ कोई गठबंधन करे। मायावती और अखिलेश को लेकर पहले भी कहा जा रहा था यह गठबंधन केवल चुनाव तक का है और चुनाव खत्म होते ही मायावती ने इस पर अपनी मुहर लगा दी।
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एक झटके में खत्म हुई बुआ-बबुआ की दोस्ती
मायावती ने एक झटके में सबकुछ खत्म कर दिया है लेकिन अखिलेश यादव का अब क्या होगा। उन्होंने मायावती के खातिर अपने परिवार तक को दांव पर लगा दिया है। मायावती के साथ गठबंधन को लेकर सपा के कुछ नेता पहले ही खिलाफ थे। यहां तक की सपा से अलग हो चुके शिवपाल यादव ने भी अखिलेश पर तंज किया था और कहा कि बुआ-बबुआ की दोस्ती केवल चुनाव तक रहेगी।
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अखिलेश को मायावती के खातिर परिवार के खिलाफ भी जाना पड़ा
अखिलेश ने किसी बात का ख्याल नहीं रखा और मायावती के साथ हाथ मिला लिया। मुलायम के राजनीति अनुभव को भी अखिलेश ने अनदेखा कर दिया था। मायावती के कहने पर अखिलेश चलते रहे। इतना ही नहीं मायावती के हर बात को अखिलेश मानने को तैयार रहे। साझा रैली के दौरान मायावती के पैर तक डिम्पल यादव ने छुआ था। इसको लेकर अखिलेश शिवपाल के निशाने पर आ गए थे। अब दोनों ओर से आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल रहा है।
मायावती दोबारा राजनीति में सक्रिय नजर आ रही है
मायावती की सियासी जमीन खिसकती नजर आ रही है लेकिन इस हार का सारा ठिकरा अखिलेश के जिम्मे डाल गई। दूसरी ओर मायावती ने जब सपा से अलग होने की बात कही तो उन्होंने मुलायम सिंह यादव के ऊपर तीखा हमला बोला था लेकिन सवाल यह है कि अखिलेश यादव अभी तक मायावती के खिलाफ कोई भी बयान नहीं दिया है और न ही गठबंधन के दरार पर भी कुछ नहीं कहा है।
अखिलेश की चुप्पी इस वजह से है
माना जा रहा है कि अगर मायावती के खिलाफ सपा ने कुछ भी बोला तो शायद बसपा प्रमुख अखिलेश को चाचा शिवपाल यादव और पिता मुलायम सिंह यादव को लेकर अखिलेश पर प्रहार कर सकती है। इस वजह से भी सपा किसी भी बयान से बचना चाहती है। उधर अखिलेश यादव की सपा में अब कोई बड़ा नेता नहीं बचा है जो शायद अखिलेश के बाद कोई इस मसले पर अपना मुंह खोले। दूसरी ओर हार की वजह से अखिलेश अभी कुछ बोलने स्थिति में नहीं है।
सपा हार का कारण खोज रही है
मायावती को जवाब देने से पहले सपा प्रमुख यादव और मुस्लिम वोटों का लेखा-जोखा तैयार कर रहे है ताकि वह आने वाले चुनाव में इससे कुछ सीखे। अखिलेश मायावती से यह भी बाताना चाहते हैं कि उनका गठबंधन ईमानदारी का था लेकिन हार के पीछे क्या कारण है इसे अभी तलाशना होगा। चाचा शिवपाल यादव भी अखिलेश को लेकर हमेशा तंज करने में लगे रहते हैं। वापसी तो दूर की बात है वह अलग रहकर सपा को कमजोर करने का काम कर रहे हैं।