न्यूज़ डेस्क
अमेरिका और ईरान के बीच गतिरोध बढ़ता ही जा रहा है। दोनों देशों में तनावपूर्ण माहौल के बीच अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान पर और कड़े प्रतिबंध लगाने वाले कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर कर दिए। ट्रंप ने बताया कि ईरान पर पहले से बहुत ज्यादा सख्त प्रतिबंध लगेंगे और अमेरिकी क्षेत्र में तेहरान के सुप्रीम लीडर और दूसरे अधिकारी बैंकिंग सुविधा का लाभ नहीं उठा पाएंगे।
बताते चलें कि कुछ दिन पहले ईरान ने एक अमेरिकी ड्रोन को मार गिराने का दावा किया था। ड्रोन को गिराए जाने से भड़के अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान पर हमले का आदेश दे दिया था, लेकिन बाद में उन्होंने यह आदेश वापस भी ले लिया था। मीडिया से बात करते हुए ट्रंप ने कहा, ‘हम ईरान या किसी दूसरे देश के साथ संघर्ष नहीं चाहते हैं। लेकिन हम कभी भी ईरान को परमाणु हथियार बनाने नहीं देंगे।’ उन्होंने यह भी कहा कि अन्य देशों को खाड़ी में अपने तेल टैंकरों की सुरक्षा खुद करनी चाहिए।
ऐसे शुरु हुआ विवाद
13 जून को अमेरिका ने दो तेल टैंकरों में आग लगने का दोषी ईरान को ठहराया था। इससे पहले भी अमेरिका ने पिछले महीने समुद्री इलाके में हुए हमलों को लेकर इस्लामिक गणराज्य की तरफ उंगली उठाई थी। अमेरिका के विदेश मंत्रालय ने कहा था कि अमेरिकी सरकार का मानना है कि खाड़ी में हुए हमलों के लिए ईरान जिम्मेदार है। खुफिया जानकारी से पता चला है कि हमले में इस्तेमाल हथियारों को देखकर ये अंदाजा लगाया जा सकता है कि हमला ईरान से ही किया गया है।
अपने तेल टैंकरों की सुरक्षा खुद करें अन्य देश
पिछले साल अमेरिका ने ईरान परमाणु समझौते से खुद को अलग कर लिया था। हाल के दिनों में ईरान और अमेरिका के बीच परमाणु समझौते को लेकर तनाव बढ़ा है। अमेरिका ईरान पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव का उल्लंघन करने का आरोप लगाता रहा है। इसके अलावा ट्रंप ने सोमवार को यह भी कहा कि अन्य देशों को खाड़ी में अपने तेल टैंकरों की सुरक्षा खुद करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि खतरनाक क्षेत्र में अमेरिका का केवल सीमित रणनीतिक हित है।
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ट्रम्प ने ट्वीट कर कहा कि जहां तक फारस की खाड़ी से विश्व को तेल निर्यात के एक बड़े हिस्से के परिवहन में इस्तेमाल होने वाले समुद्री मार्गों को बंद करने की ईरान की धमकी की बात है तो अमेरिका का इससे कोई लेना-देना नहीं है।