न्यूज डेस्क
भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर एक बार फिर चर्चा में है। दरअसल पुलिस को लगता है कि चंद्रशेखर की मौजूदगी से साम्प्रदायिक तनाव बढ़ सकता है। इसलिए गाजियाबाद पुलिस ने भीम आर्मी प्रमुख को रास्ते में ही रोक लिया और जिले से बाहर कर दिया।
अक्सर विवादों में रहने वाले चंद्रशेखर आजाद के साथ ऐसा पहली बार नहीं हुआ है। उन्हें कई बार ऐसी स्थिति का सामना करना पड़ा है। चुनाव के दौरान वाराणसी में चंद्रशेखर की रैली के दौरान प्रशासन बेहद सर्तक था। चंद्रशेखर का पूरा रोड शो संगीनों के साये में नजर आया था। लगभग आधा दर्जन थानों की पुलिस बुलाई गई थी, आगे और पीछे पुलिस का पहरा था।
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वहीं दिसबंर 2018 में चंद्रशेखर को मुंबई में रैली करने की इजाजत नहीं मिली थी। पुलिस को आशंका थी कि भीमा कोरोगांव हिंसा की सालगिरह पर असामाजिक तत्व हिंसक घटनाओं को अंजाम दे सकते हैं, इसलिए पुलिस ने होटल में चंद्रशेखर को नजरबंद कर दिया गया था। गाजियाबाद में भी ऐसा ही कुछ मामला था जिसकों लेकर पुलिस चैतन्य थी, इसलिए चंद्रशेखर को बैरंग लौटा दिया।
चंद्रशेखर को पुलिस ने रोका तो मचा बवाल
शुक्रवार दोपहर गाजियाबाद के इंदिरापुरम के पास एक गांव के पास उत्तर प्रदेश पुलिस ने भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद को रोका तो बवाल मच गया। उनके समर्थकों ने जबर्दस्त हंगामा किया, लेकिन पुलिस ने उनके समर्थकों के साथ चंद्रशेखर को हिरासत में लिया और बाद में उन्हें जिले से बाहर कर दिया गया।
पुलिस अधिकारियों के मुताबिक उन्हें संदेह था कि चंद्रशेखर की मौजूदगी से क्षेत्र में सांप्रदायिक तनाव बढ़ सकता है। शहर के पुलिस अधीक्षक श्लोक कुमार ने बताया कि एक अल्पसंख्यक समुदाय से संबंध रखने वाले लोगों ने पुलिस को सूचना दी थी कि शुक्रवार की प्रार्थना के दौरान भीम आर्मी के प्रमुख क्षेत्र में पहुंच सकते हैं। लोगों की अपील थी कि वह राजनीतिक नेताओं को यहां से दूर रखें।
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इस क्षेत्र में एक वीडियो वायरल होने के बाद तनावपूर्ण स्थिति थी। इस वीडियो में ऐसा दावा किया गया था कि मकानपुर क्षेत्र में गाजियाबाद विकास प्राधिकरण ने एक धार्मिक ढांचे को गिरा दिया है लेकिन बाद में पता चला कि सिर्फ बाड़ ही हटाई गई हैं।
कुमार ने बताया कि भीम आर्मी प्रमुख के पास से एक राइफल जब्त की गई और उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता और शस्त्र अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज कर लिया गया।
सहारनपुर दंगे में आरोपी हैं चंद्रशेखर
चंद्रशेखर 2017 में सहारनपुर में हुए दंगे में भी आरोपित हैं। उन्हें कई महीनों तक जेल में रहने के बाद जमानत मिली थी। मालूम हो अक्टूबर, 2015 में भीम आर्मी की स्थापना दलित समुदाय में शिक्षा के प्रसार को लेकर हुई थी।
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सितंबर 2016 में सहारनपुर के छुटमलपुर में स्थित एएचपी इंटर कॉलेज में दलित छात्रों की कथित पिटाई के विरोध में हुए प्रदर्शन से ये संगठन चर्चा में आया।
संगठन भीम आर्मी के सदस्य दलित समुदाय के बच्चों के साथ हो रहे कथित भेदभाव का मुखर विरोध करते हैं और इसी के कारण इस संगठन की पहुंच दूर दराज के गांवों तक हुई है।