न्यूज डेस्क
तीन तलाक पर राजनीति जारी है। एक ओर बीजेपी इस बिल के सहारे मुस्लिम समाज में घुसपैठ करने की कोशिश में लगी है तो वहीं विपक्षी दल इस बिल का विरोध कर मुस्लिम वोट बैंक को किसी कीमत पर गंवाना नहीं चाह रही है। आज लोकसभा में जब केन्द्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने तीन तलाक बिल पेश किया तो विपक्षी दलों ने एक सुर में इसका विरोध किया।
यह भी पढे : मुस्लिम समाज में मोदी की घुसपैठ
तीन तलाक का विरोध करते हुए हैदराबाद से सांसद और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के राष्ट्रीय अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि यह संविधान विरोधी व आर्टिकल 14 और 15 का उल्लंघन है। मोदी सरकार को मुस्लिम महिलाओं से हमदर्दी है तो केरल की हिंदू महिलाओं से मोहब्बत क्यों नहीं? आखिर सबरीमाला पर आपका रुख क्या है?
ओवैसी ने तीन तलाक विधेयक पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि अगर किसी गैर मुस्लिम को केस में डाला जाए तो उसे 1 साल की सजा और मुसलमान को 3 साल की सजा। क्या यह आर्टिकल 14 और 15 का उल्लंघन नहीं है? इस बिल से सिर्फ मुस्लिम पुरुषों को सजा मिलेगी। आप मुस्लिम महिलाओं के हित में नहीं हैं बल्कि आप उन पर बोझ डाल रहे हैं।
यह भी पढे : मुस्लिम महिलाओं से हमदर्दी तो हिंदू से क्यों नहीं?
ओवैसी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का जिक्र करते हुए कहा कि अगर कोई शख्स एक समय में तीन तलाक देता है तो शादी नहीं टूटेगी। ऐसे में बिल में जो प्रवाधान है, उससे पति जेल चला जाएगा और उसे 3 साल जेल में रहना होगा। ऐसे में मुस्लिम महिला को गुजारा-भत्ता कौन देगा? आप (सरकार) देंगे?
ओवैसी ने कहा कि आपको मुस्लिम महिलाओं से इतनी मोहब्बत है। केरल की हिंदू महिलाओं से मोहब्बत क्यों नहीं है। क्यों आप सबरीमाला के फैसले के खिलाफ हैं? यह गलत हो रहा है।
यह भी पढे : इन नेताओं को पीछे छोड़ मोदी बने सबसे ताकतवर शख्स
ओवैसी से पहले कांग्रेस नेता शशि थरूर ने सदन में कहा कि मैं इस बिल के पेश किए जाने का विरोध करता हूं। उन्होंने कहा कि मैं तीन तलाक का समर्थन नहीं करता, लेकिन इस बिल के विरोध में हूं। थरूर ने कहा, यह बिल संविधान के खिलाफ है, इसमें सिविल और क्रिमिनल कानून को मिला दिया गया है।
उन्होंने कहा कि अगर सरकार की नजर में तलाक देकर पत्नी को छोड़ देना गुनाह है, तो ये सिर्फ मुस्लिम समुदाय तक ही सीमित क्यों है। उन्होंने कहा कि क्यों न इस कानून को सभी समुदाय के लिए लागू किया जाना चाहिए। कांग्रेस की ओर से कहा गया कि सरकार इस बिल के जरिए मुस्लिम महिलाओं को फायदा नहीं पहुंचा रही है बल्कि सिर्फ मुस्लिम पुरुषों को ही सजा दी रही है।