Saturday - 2 November 2024 - 5:23 PM

चैन्नई में आईटी कंपनियां अपने कर्मचारियों से क्यों करा रही हैं ‘वर्क फ्रॉम होम’

प्रीति सिंह

‘जल ही जीवन है’। ‘जल ही जीवन है और हमे बूंद बूंद को बचाना चाहिये’। ‘जल बचाने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए’। ऐसी तमाम स्लोगन दशकों से लोगों को जागरूक करने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। साल दर साल स्लोगन में इजाफा होता गया लेकिन पानी बचाने के लिए जमीन पर कोई गंभीर काम नहीं हुआ, जिसका खामियाजा आज देश के कई राज्यों के लोग भुगत रहे हैं।

कुछ अर्थशास्त्रियों ने बहुत पहले भविष्यवाणी की थी कि तीसरा विश्वयुद्ध जल के लिए ही लड़ा जाएगा। उनकी भविष्यभाणी सच होती दिख रही है। देश के 14 राज्यों में हालात नाजुक हैं। जल संकट वाले 122 देशों की लिस्ट में भारत 120वें नंबर पर खड़ा है।

देश में ये हालात तब हैं जबकि भारत को नदियों का देश कहा जाता। देश के कई हिस्सों में ऐसे दृश्य आम हैं जहां पानी के टैंकर के पीछे भागते लोगों की बीच एक तरह की रेस देखी जा सकती है। ये रेस है जिंदगी बचाने की। रेस पानी की।

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चैन्नई में भीषण जल संकट

इस समय सबसे ज्यादा हालत खराब तमिलनाडु की राजधानी चैन्नई की है। यहां पीने के पानी के लिए लोग आपस में लड़ रहे हैं। पानी के संकट का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि चेन्नई के ओल्ड महाबलीपुरम (ओएमआर) इलाके में स्थित आईटी  कंपनियों के कर्मचारियों को घर से काम (वर्क फ्रॉम होम) करने को कहा गया है। बताया जा रहा है कि सुचारु रूप से ऑपरेशन के लिए उनके ऑफिस में पानी नहीं है।

कर्मचारियों से कहा गया है कि वे अपनी सुविधा के मुताबिक कहीं से काम कर सकते हैं। ऐसा अनुमान जताया जा रहा है कि अगले 100  दिनों तक पानी की कमी से कंपनियों को जूझना पड़ सकता है। शहर में तकरीबन 200  दिनों से बारिश नहीं हुई है और अगले तीन महीनों तक जल संकट से निपटने के लिए चैन्नई में पर्याप्त बारिश के आसार नहीं हैं।

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मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार चैन्नई की 12 आईटी कंपनियों के 5 हजार कर्मचारियों को घर से काम करने को कहा गया है। इसके पहले आईटी कंपनियों ने कर्मचारियों से वर्क फ्रॉम होम के लिए 4 साल पहले कहा था, जब निजी टैंकर संचालकों ने हड़ताल का ऐलान किया था।

गौरतलब है कि ओएमआर में 600 आईटी और आईटीएएस फर्म का संचालन होता है। यहां स्थित कंपनियां पानी की खपत कम करने के लिए तमाम उपाय कर रही हैं। मिसाल के तौर पर शोलिंगनल्लूर इलाके के एलकॉट में फोर्ड बिजनस सर्विसेज ने अपने कर्मचारियों से पीने का पानी खुद लाने को कहा है।

स्कूलों में छुट्टी तो कही हो रहा पलायन

चैन्नई में भीषण जल संकट के चलते जहां ग्रामीण इलाकों में टोकन देकर पानी बांटा जा रहा है तो वहीं स्कूलों में छुट्टी कर दी गई है। पानी का खर्च कम करने के लिए कई निजी स्कूलों को बंद कर दिया गया है। वहीं कई स्कूल हाफ डे करने पर मजबूर हो गए हैं।

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चेन्नई के कुछ उपशहरी इलाकों में लोग पानी की किल्लत की वजह से पलायन को भी मजबूर हैं। लोग किराये पर शहर के उन इलाकों में शिफ्ट हो रहे हैं जहां बोरवेल अभी भी कुछ पानी दे रहे हैं या जहां टैंकर सर्विस बेहतर है। जिन इलाकों में पानी की स्थिति थोड़ी-बहुत ठीक-ठाक है, वहां के अपार्टमेंटों का किराया भी काफी बढ़ चुका है।

हाईकोर्ट ने सरकार को लगाई फटकार

मद्रास हाईकोर्ट ने इसी हफ्ते पानी के संकट से निपटने के लिए समय रहते जरूरी कदम नहीं उठाने की वजह से राज्य सरकार को कड़ी फटकार लगाई है। हाईकोर्ट ने 18 जून को तमिलनाडु सरकार को सूबे खासकर चैन्नई में जारी जल संकट से निपटने के लिए एहतियाती कदम नहीं उठाने को लेकर फटकार लगाई। मेट्रोवॉटर द्वारा फाइल की गई 8 पेज की रिपोर्ट से असंतुष्ट हाईकोर्ट ने हैरानी जताते हुए कड़ी टिप्पणी की कि संकट के वक्त राज्य का वॉटर मैनेजमेंट डिपार्टमेंट कर क्या रहा था।

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60 करोड़ लोग जूझ रहे हैं पानी के संकट से

देश के 60 करोड़ लोग पानी के संकट से जूझ रहे हैं। 40 प्रतिशत आबादी के पास पीने के लिए शुद्ध पानी नहीं है। 75 प्रतिशत लोगों के घरों में पीने के पानी की सप्लाई नहीं है। ग्रामीण इलाकों में करीब 84 प्रतिशत घरों में पानी की पाइपलाइन नहीं है। देश के70 प्रतिशत लोग अशुद्ध पानी पीने को मजबूर हैं। प्रदूषित पानी पीने की वजह से देश में हर साल 2 लाख लोगों की मौत होती है।

जलाशयों में 25फीसदी जल ही उपलब्ध

पिछले दिनों केंद्रीय जल आयोग ने अपने पेश किए आंकड़े में बताया था कि देश के ९१ जलाशयों में उनकी क्षमता का 25फीसद औसत जल ही उपलब्ध है। इसके अलावा संयुक्त राष्ट द्वारा जारी विश्व जल रिपोर्ट में भी जल संकट को लेकर चिंता व्यक्तकी गई थी।

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इस रिपोर्ट में कहा गया है कि कृषि में जल की बढ़ती जरूरतों, ऊर्जा उपभोग, प्रदूषण और जल प्रबंधन की कमजोरियों की वजह से स्वच्छ जल पर दबाव बढ़ रहा है। इन कारणों से दुनिया के कई देश गंभीर जल संकट से जूझ रहे हैं। ऐसी स्थिति में यदि पानी की बर्बादी नहीं रोकी गई तो यह समस्या विकराल रूप धारण कर सकती है।

संयुक्त राष्ट्र संघ ने जल संकट को लेकर पहली बार चिंता नहीं दिखाई है। संयुक्त राष्ट्र संघ लंबे समय से लोगों को सचेत कर रहा है, लेकिन इस दिशा में कितना काम हुआ है जल संकट को देखकर समझ सकते हैं।

2030 तक दोगुनी हो जाएगी पानी की जरूरत : नीति आयोग

हाल ही में नीति आयोग ने एक रिपोर्ट जारी की थी जिसमें कहा गया था कि देश के कई राज्यों में पानी की स्थिति चिंताजनक है।  कई राज्यों में भूजल स्तर काफी नीचे पहुंच गया है। उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, गुजरात और तमिलनाडु में स्थिति अच्छी नहीं है।

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देश के 21 शहरों में हालात और भी खराब हैं, जिनमें दिल्ली, बैंगलूरू, चैन्नई हैदराबाद के नाम शामिल है। नीति आयोग ने चिंता जताते हुए कहा है कि 2030 में स्थिति और गहराने वाली है क्योंकि 2030 तक पानी की जरूरत दोगुनी हो जाएगी।

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