न्यूज डेस्क
बिहार में चमकी बुखार से मरने वालों की संख्या 130 हो चुकी है और करीब 300 से ज्यादा गंभीर रूप से बीमार है। वहीं, दूसरे छोटे अस्पतालों में या बिना इलाज के मरे बच्चों का आंकड़ा अभी उपलब्ध नहीं है। चिंताजनक बात यह है कि मरने वाले या गंभीर रूप से बीमार बच्चों में 80 फीसदी बच्चियां हैं।
गौरतलब है कि सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 130 मौतों में 85 बच्चियां शामिल हैं। विशेषज्ञों के अनुसार इससे इलाके में कुपोषण की भयावह स्थिति का भी पता चलता है। कुपोषण का शिकार सबसे अधिक बच्चियां होती हैं जिनमें आयरन की कमी से इसका खतरा बढ़ता है। यह भी इस इलाके की बड़ी समस्या रही है जिसे नजरअंदाज किया जाता रहा है।
5 बरसों में कोई मीटिंग नहीं
2014 में पूरे देश में इस बीमारी से प्रभावित 60 जिलों की पहचान की गई और यहां सघन अभियान चलाने की बात की गई थी। इसमें पांच मंत्रालयों की एक कमिटी बनाई गई थी। इसमें स्वास्थ्य मंत्रालय के अलावा स्वच्छता और पेयजल मंत्रालय, सामाजिक कल्याण मंत्रालय, महिला और बाल विकास और शहरी विकास मंत्रालय भी शामिल हैं। कमिटी के गठन के बाद एक भी मीटिंग नहीं हुई। अब एक बार फिर स्वास्थ्य मंत्रालय ने पुराने प्रस्ताव पर काम करने की बात कही है।
बिहार के सबसे प्रभावित जिले
- पूर्वी चंपारण
- सीतामढ़ी
- शिवहर
- समस्तीपुर
- पश्चिमी चंपारण
वहीं, दूसरी ओर मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार से 109 बच्चों की मौत के बाद सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है। इस जनहित याचिका में सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई गई है कि चमकी बुखार से निपटने के लिए अदालत बिहार और केंद्र सरकार को 500 आईसीयू की व्यवस्था करने का निर्देश दे। साथ ही चमकी बुखार से निपटने के लिए जरूरी पेशेवर डॉक्टरों की संख्या में भी इजाफा करने की मांग की गई है।
याचिका में यह भी मांग की गई है कि सबसे पहले मुजफ्फरपुर में 100 मोबाइल ICU बनाए जाए। इसके अलावा चमकी बुखार से प्रभावितों का जायजा लेने के लिए एक मेडिकल बोर्ड को मुजफ्फरपुर भेजने की मांग की गई है। चमकी बुखार के कहर को देखते हुए अदालत से अपील की गई है कि तुरंत इस मामले में दखल दे. इस याचिका को वकील मनोहर प्रताप और संप्रीत सिंह ने दाखिल किया है।
याचिका में दावा किया है गया है कि बिहार राज्य इस बीमारी को फैलने से रोकने के लिए जो कदम उठाये जाने चाहिए थे उसे लागू करने में फेल रहा है। इसलिए अब कोर्ट का दखल जरूरी हो गया है। याचिका में कहा गया है कि अदालत मुजफ्फरपुर में काम कर रहे प्राइवेज डॉक्टरों और अस्पतालों को चमकी बुखार से पीड़ित लोगों का मुफ्त इलाज करने का आदेश दिया जाए।