न्यूज डेस्क
बिहार के मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार कहे जाने वाले अक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) से मौतों का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा हैं। पिछले 24 घंटों में 24 बच्चों की मौत से बिहार में अब तक 100 मांओं की गोद सूनी हो चुकी है। वहीं चमकी बुखार की आंच अब मोतिहारी तक पहुंच गई है, जहां एक बच्ची बुखार से पीड़ित है।
ऐसे में सवाल यह उठ रहा है कि जब गोरखपुर में टीकाकरण हुआ, तो ऐसा मुजफ्फरपुर में क्यों नहीं हो सका। इंसेफलाइटिस के सबसे ज्यादा शिकार गोरखपुर और मुजफ्फरपुर रहे हैं।
गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कालेज में यूपी, बिहार और नेपाल से आने वाले इंसेफेलाइटिस प्रभावित बच्चों के लिए सीएम योगी आदित्यनाथ के ‘पशेंट ऑडिट फार्मूला’ एक वरदान साबित हुआ है। इस साल 2019 में 78 मरीजों में से 15 बच्चों को मौत हुई हैं।
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गौरतलब है कि साल 2018 से यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने पेशेंट ऑडिट फार्मूला और पेशंट केयर फार्मूला लागू किया था। इस फार्मूले से यहां भर्ती होने वाले मरीजों और मौतों का आंकड़ा काफी कम हो गया है।
गोरखपुर बीआरडी मेडिकल कालेज के प्रिंसिपल डॉ. गणेश कुमार ने बताया कि इस फार्मूले से यहां भर्ती होने वाले मरीजों और मौतों का आंकड़ों में काफी कमी आई है। डा. गणेश कुमार बताते हैं कि पिछले साल मई तक 168 मरीज आए थे, जिसमें 57 की मौत हो गई थी। इस साल 78 मरीजों में से 15 बच्चों को मौत हुई हैं।
जापानी इंसेफेलाइटिस के टीकाकरण के कारण इसके मरीजों की संख्या में काफी कमी आई है। क्योकि इसका मुख्य कारण शहर से लेकर गांव तक जागरूकता अभियान के जरिए इस बीमारी से बचाव की जानकारी दी गई।
बीआरडी मेडिकल कालेज के प्रिंसिपल बताते हैं कि सीएम योगी आदित्यनाथ यहां के सांसद रहे हैं, वे भली-भांति यहां से परिचित रहे हैं। उन्होंने काफी काम किया है। गांव-गांव में शौचालय बनने और दस्तक अभियान की अहम भूमिका है। इसने लोगों को जागरूकता आई है।
क्या है ‘पेशेंट ऑडिट फार्मूला’
इंसेफेलाइटिस जैसी बीमारी दो साल में यूपी में घटकर आधी और गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कालेज में महज सात फीसदी रह गई है। योगी सरकार के निर्देश पर दस्तक अभियान की शुरुआत अप्रैल माह शुरू होते ही कर दी गई।
वहीं जिलाधिकारी के साथ विभिन्न विभागों के अधिकारी भी इंसेफेलाइटिस की रोकथाम के लिए रैलियां निकाली गई। ऐसा पहली बार हुआ जब इंसेफेलाइटिस के बुखार पर वार के लिए स्लोगन के साथ स्वास्थ्य विभाग के साथ पांच अन्य विभागों की टीम भी एकजुट थी।
चिकित्सा शिक्षा, महिला कल्याण, बाल विकास, पंचायती राज और नगर निगम की टीमों ने मिलकर लगातार पेयजल, स्वच्छता, टीकाकारण और जागरूकता के ऐसे कार्यक्रम चलाए, जिसका असर अस्पताल से लेकर गांवों तक महसूस होने लगा।