Wednesday - 30 October 2024 - 2:11 AM

ट्रिपल तलाक बिल पर नहीं कम हुई मुश्किलें, विपक्ष के साथ सहयोगी भी कर रहे हैं विरोध

न्‍यूज डेस्‍क

पीएम नरेंद्र मोदी दोबारा सत्‍ता में आने के बाद सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास के मंत्र के साथ सबकी सुरक्षा और समृद्धि की प्रतिबद्धता का वादा किया था। केंद्र की सत्‍ता में दोबारा लौटने के बाद पीएम नरेंद्र मोदी ने अपनी पहली कैबिनेट बैठक के दौरान तीन तलाक बिल को मंजूरी दे दी।

साथ ही आगामी संसद सत्र में तीन तालक विधेयक पेश करने का एलान भी किया। लेकिन विपक्ष से पहले बीजेपी के के सहयोगी ही इस बिल के विरोध में आ गए है, जिसके बाद तीन तलाक बिल पर एक बार फिर लोकसभा और राज्‍यसभा में घमासान मचने की उम्मीद है।

खबरों की माने तो कांग्रेस के बाद अब नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू ने कहा है कि वह इस बिल के मौजूदा प्रावधानों के खिलाफ है। यहां ध्यान रहे कि जेडीयू बिहार और केंद्र में बीजेपी के साथ है। लेकिन पिछले कुछ दिनों में दोनों के बीच मतभेद खुलकर सामने आए हैं।

जेडीयू के वरिष्ठ नेता और बिहार के मंत्री श्याम रजक ने कहा, “जेडीयू इसके (तीन तलाक बिल) खिलाफ है और हम इसके खिलाफ लगातार खड़े रहेंगे। उन्‍होंने कहा कि तीन तलाक एक सामाजिक मुद्दा है और इसे सामाजिक स्तर पर समाज के द्वारा सुलझाया जाना चाहिए. मोदी कैबिनेट ने बुधवार को ही तीन तलाक बिल को दोबारा मंजूरी दी है।

गौरतलब है कि इसके पहले नीतीश कुमार ने सार्वजनिक तौर पर तीन तलाक विधेयक का विरोध किया था। नीतीश कुमार ने पिछले दिनों कहा था कि अनुच्छेद 370 को हटाने, समान नागरिक संहिता लागू करने और अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण कराने के मामले या तो संवाद के जरिए सुलझाए जाएं या अदालत के आदेश के जरिए।

वहीं, कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, ”हमने तीन तलाक पर कई बुनियादी बातें उठाई थी। उनमें से कई मुद्दों पर सरकार ने हमारी बात मानी। अगर सरकार पहले तैयार हो जाती तो बहुत समय बच जाता।” सिंघवी ने कहा, ”अभी भी एक या दो मुद्दे हैं जैसे परिवार की वित्तीय सुरक्षा सुनिश्चित करना। इन मुद्दों पर हम चर्चा करेंगे और विरोध भी करेंगे। ”

तीन तलाक बिल सोमवार (17 जून) से शुरू हो रहे संसद के सत्र में पेश किया जाएगा और यह फरवरी में जारी एक अध्यादेश का स्थान लेगा। पिछले महीने 16वीं लोकसभा भंग होने के साथ यह विवादित विधेयक निष्प्रभावी हो गया था क्योंकि यह संसद द्वारा पारित नहीं हो सका और यह राज्यसभा में लंबित था।

 

 

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