न्यूज डेस्क
दुनिया के सबसे ठंडे युद्धक्षेत्र सियाचिन ग्लेशियर पर खून जमा देने वाली ठंड के बीच भारतीय सेना के जवानों को खाने के लिए लंबी जद्दोजहद करनी पड़ती है। समुद्र तल से करीब 20 हजार फुट की ऊंचाई पर स्थित सियाचिन में सेना के जवानों की इन दुश्वारियों का एक विडियो सोशल मीडिया में वायरल हो गया है।
इस विडियो में जवान दिखा रहे हैं कि आलू से लेकर टमाटर तक सबकुछ जम जाता है और उसे हथौड़े तोड़कर खाना बनाना पड़ता है। जवानों ने बताया कि जूस की बॉटल ईंट की तरह से सख्त हो जाती है। उसको पीने के लिए जवानों को उसे पतीले में पहले गरमाना पड़ता है और फिर वे जूस पी पाते हैं।
जवानों ने विडियो में बताया कि खाने के लिए हमें जो अंडा भेजा आता है तो वह ठंड की वजह से पत्थर की तरह से कठोर हो जाता है। यही नहीं आलू भी इतना कठोर हो जाता है कि उसे पहले गरम करना पड़ता है। खाना बनाने में इस्तेमाल होने वाले अदरक, टमाटर आदि बर्फ के कारण इतने सख्त हो जाते हैं कि उन्हें पकाना बेहद चुनौतीपूर्ण हो जाता है।
जवानों ने बताया कि सियाचिन में नौकरी करना आसान नहीं है। यहां तापमान माइनस 40 से 70 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है। आम इंसान का सियाचिन में जीना हराम हो जाता है।
जवानों को खाना बनाने और बंकर के अंदर गर्मी के लिए केरोसिन का इस्तेमाल किया जाता है। सेना के जवान बर्फ को पिघालकर पानी बनाते हैं और फिर उसका इस्तेमाल खाना बनाने और पीने के लिए करते हैं।
बताते चलें कि सियाचिन सालभर बर्फ की मोटी चादर से ढका रहता है। यह दुनिया का सबसे ऊंचा और सबसे ठंडा युद्धक्षेत्र है। पिछले दिनों नए रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने सियाचिन बेस कैंप का दौरा किया था और जवानों से मुलाकात की थी।
सियाचीन में जवानों को नहाने के लिए 90 दिनों का इंतजार करना पड़ता है। हाल ही में इसी समस्य को दूर करने के लिए उनके वास्ते एक बॉडी वॉश बनाया गया है। पानी रहित इस बॉडी वॉश का इस्तेमाल करने पर जवानों को बिल्कुल नहाने जैसे अहसास होगा। अब वे सप्ताह में दो बार स्नान कर सकेंगे। इस ग्लेशियर के एक तरफ चीन है और दूसरी तरफ पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर है। इसलिए इसका रणनीतिक लिहाज से काफी महत्व है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक सियाचिन में सुरक्षा पर प्रतिदिन सात करोड़ रुपये खर्च होते हैं। सियाचिन की 80 फीसदी सैन्य चौकियां 16 हजार फीट से अधिक की ऊंचाई पर स्थित हैं। सियाचिन में करीब 3 हजार जवान हर समय तैनात रहते हैं।