स्पोर्ट्स डेस्क।
सीएबी के सचिव आदित्य वर्मा ने बीसीसीआई के सीओए, सीईओ, जीएम, अध्यक्ष,सचिव, कोषाध्यक्ष तथा बीसीसीआई के तमाम राज्य क्रिकेट संघ को पत्र भेज कर न्याय की गुहार लगाई है।
सीएबी के सचिव आदित्य वर्मा को यह पता चला था कि बिहार क्रिकेट संघ के सचिव ने बीसीसीआई के सीओए को यह गलत लिखित जानकारी दी थी कि माननीय सुप्रीम कोर्ट के 9 अगस्त 18 के आदेश के आलोक में बिहार क्रिकेट एसोसिएशन ने भी अपना संविधान संशोधन कर दिया है तथा बिहार सरकार के निबंधन विभाग के द्वारा इसका अनुमोदन भी करा दिया गया है।
सूचना के अधिकार के तहत विभाग से मिली जानकारी से पता चला है कि बिहार सरकार के निबंधन विभाग ने बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के संविधान का संशोधन तो दूर अभी तक निबंधन विभाग के द्वारा बीसीए के सचिव को पत्र भेज कर बीसीए के आलेख मे क्रीत संसोधन को अभिलेखित करने के संबंध में जो कुछ देने के लिए कहा गया था वह आज तक नहीं दिया गया है ।
27 मई 19 को सूचना के अधिकार के तहत विभाग से मिली जानकारी मे बताया गया है कि बिहार क्रिकेट संघ का निबंधन बहाल भी नहीं हुआ है फिर संसोधन हो जाने की गलत जानकारी भेजने का अपराध बीसीए सचिव ने सुप्रीम कोर्ट के द्वारा गठित सीओए के कमिटी को कैसे भेज दिया था।
सबसे आश्चर्यजनक यह है कि बीसीसीआई के सीओए को पत्र भेज कर अनेक बार लिखा था कि बिहार क्रिकेट संघ का निबंधन रद्द है आप बिहार सरकार के निबंधन विभाग से जानकारी प्राप्त करें, लेकिन सीएबी के दलील को खारिज कर दिया जाता था।
सीओए ने कमाल करते हुए सुप्रीम कोर्ट के आदेश से बहाल न्याय मित्र को बीसीए के झूठे कागज को भेज कर एक तरह से बिहार क्रिकेट एसोसियेसन को क्लीन चीट देने का काम सीओए ने किया था क्योकि शुरू से विनोद राय जी बीसीए के सचिव को बचाने का काम कर रहे हैं।
बता दें कि बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के लीगल कमिटी के पूर्व अध्यक्ष जगन्नाथ सिंह वरिय अधिवक्ता पटना हाई कोर्ट ने अपना लीगल विश्लेषण भी सीएबी के सचिव आदित्य वर्मा को मांगने के पश्चात दे दिया है।