साहिल एक दिन अपने ऑफिस आया और अपनी पत्नी से कहा, शिवी, मैंने तय किया है कि मैं एमबीए करूंगा। शिवी का चेहरा खिल उठा। कबीर एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में असिस्टेंट मैनेजर था। पर पिछले छह साल से उसे एक भी प्रमोशन नहीं मिला था। शिवी ने साहिल को कई रास्ते सुझाए, पर वह कभी खुद पर विश्वास ही नहीं कर पाता था। शिवी ने पूछा, आखिर यह बदलाव कैसे? कबीर बोला, कल मेरी मुलाकात एक छात्रा से हुई, जिसने मेरे जीने का तरीका बदल दिया।
मैं अपने एक दोस्त के बेटे के एडमिशन के लिए कॉलेज गया था। हम लोग काउंटर पर अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे। तभी करीब सत्तर साल की एक महिला का नंबर आया। काउंटर पर बैठे अधिकारी ने पूछा, जी बताइए, ग्रेजुएशन किसे करना है? महिला बोली, रचिका मिश्रा को। अधिकारी ने नाम नोट करते-करते पूछा, और आपका नाम? महिला बोलीं, रचिका मिश्रा ।
हॉल में बैठे सभी लोग सन्न रह गए। अधिकारी ने पूछा, अम्मा, अब ग्रेजुएशन करके क्या करोगी? महिला हंसते हुए बोलीं, अच्छी नौकरी तलाश करूंगी और फिर एक काबिल लड़के से शादी करूंगी, और क्या! पूरा हॉल ठहाकों से गूंज उठा।
महिला फिर से मुस्कराते हुए बोलीं, मुझे इसका एहसास होने में पचास साल लग गए कि मैंने गलत विषय में ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन किया था। इसलिए सोचा कि अभी गलती सुधार लूं।
हॉल फिर ठहाकों से गूंज गया। अधिकारी ने भी हंसते-हंसते उसे फॉर्म दे दिया। आज वह महिला मुझे फिर मिली। मैंने उनसे पूछा, क्या आपको एडमिशन मिल गया? वह बोलीं, बिल्कुल। मेरी तो आज से क्लास भी शुरू हो गई।
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मैंने पूछा, इस उम्र में ग्रेजुएशन क्यों कर रही हैं? उस महिला ने मुझे कहा, जो तुम करना चाहते हो, जो तुम बनना चाहते हो, उसके लिए कभी देर नहीं होती। चाहो तो खुद आजमा कर देख लो।