Wednesday - 30 October 2024 - 6:12 AM

कभी अखिलेश से की थी बगावत अब हुए नेस्ताबूद

सैय्यद मोहम्मद अब्बास

चुनाव अब खत्म हो गया है। पीएम मोदी दोबारा सरकार बनाने जा रहे है। चुनाव से पूर्व विपक्ष ने बड़ी-बड़ी बात कही थी लेकिन जनता पर इसका कोई असर नहीं हुआ। आलम तो यह रहा कि मोदी को जनता ने उन्हें इस बार बम्पर बहुमत दिया है। इस वजह से देश में फिर मोदी राज का उदय हुआ है। जनता ने राहुल गांधी को नकार दिया है जबकि बुआ-बबुआ को भी जनता ने पसंद नहीं किया है।

वोटों के खेल में अखिलेश इस बार किसी तरह से खुद तो संसद पहुंच गए है लेकिन उनकी पत्नी डिम्पल यादव कन्नौज से अपनी सीट बचाने में नाकाम रही है जबकि मुलायम भी किसी तरह से संसद पहुंच गए है। दूसरी ओर इस चुनाव में कुछ ऐसे चेहरे थे जो कभी अखिलेश के साथ होते थे लेकिन बाद में उनके खिलाफ बगावत की और अलग हो गए। ये वो चेहरे थे जिन्होंने इस चुनाव में सपा-बसपा को नुकसान पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। वोट काटने की वजह से सपा-बसपा की ऐसी हालत पतली हो गई थी।

शिवपाल यादव और राजा भैया ये दो ऐसे नाम है जो किसी जमाने में अखिलेश यादव के खास हुआ करते थे लेकिन चुनाव से पहले दोनों ने अपनी-अपनी नई पार्टी बना ली। आरोप तो दोनों पर यह भी है कि दोनों ही नेता बीजेपी की बी-टीम है। इसको लेकर अखिलेश यादव और मायावती ने दोनों को खूब रडार पर लिया था लेकिन चुनाव बाद शिवपाल यादव और राजा भैया का भी राजनीतिक वजूद खतरे में पड़ गया है।

दोनों को जनता ने धरातल पर पहुंचा दिया है। दोनों की साख इस चुनाव में दाव पर लगी थी लेकिन जनता ने उनको कही का नहीं छोड़ा है। शिवपाल की पार्टी यूपी में कोई भी सीट जीतने में नाकाम रही है।

इसके साथ ही उनकी पार्टी ने सपा-बसपा के वोट में सेंध भी खूब लगायी। फिरोजाबाद से शिवपाल चुनाव नहीं जीत सके लेकिन उन्होंने भतीजे का वोट काटकर बीजेपी उम्मीदवार चंद्रसेन को जीताने में अहम रोल अदा किया। अक्षय यादव को 4.67 लाख वोट मिले जबकि शिवपाल को 91,869 वोट जुटा सके।
राजा भैया और उनकी जनसत्ता पार्टी भी इस चुनाव में फिसड्डी साबित हुई है। कुंडा से पांच बार विधायक रहे राजा भैया की पार्टी के उम्मीदवारों को प्रतापगढ़ और कौशांबी में बुरी हार का सामना करना पड़ा है।

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