स्पेशल डेस्क
लखनऊ। हज़रत अली अ.स. की शहादत के मौके पर निकलने वाला जुलूस को लेकर पिछले कई दिनों से सोशल मीडिया में तेजी से वायरल हो रहे मैसेज जिसमें यह बताया और सुनाया जा रहा था कि मोहम्मद साहब के दामाद और शियों के पहले इमाम हजरत अली अ.स. की शहादत के मौके पर 21 रमजान को निकलने वाले जुलूस के जि़म्मेदार मुख्तार ने समय में परिवर्तन कर रात में पौने तीन बजे निकालने का फैसला मीटिंग करके लिया है।
जिसके मौलाना कल्बे जवाद और मौलाना यासूब अब्बास समेत कई धर्मगुरूओं सहित अज़ादारों के विरोध के बाद 21 रमजान को निकलने वाले जुलूस की इंतेजामिया कमेटी को अपने कदीमी समय और रास्ते पर निकालने का एलान करना पड़ा। समय बदलने से पहले कमेटी ने उलेमा की राय लेना भी बेहतर नहीं समझा। इस पर उलेमा और अज़ादारों ने सख्त नाराजगी जाहिर की।
मौलाना कल्बे जवाद ने जुलूस को पुराने वक्त पर ही निकाले जाने की बात कही। धर्मगुरूओं और अजादारों की नाराजगी के बाद जुलूस इंतेजामिया कमेटी बैकफुट पर आ गई और पुराने वक्त पर ही जुलूस निकाले जाने का देर रात एलान कर दिया।
21 रमजान को मोहम्मद साहब के चचेरे भाई दामाद और शियों के पहले इमाम हजरत अली अ.स. की शहादत पर नजफ से सुबह नमाज के बाद करीब पांच बजे ताबूत का जुलूस निकाला जाता है जो काजमैन, गिरधारी सिंह इंटर कालेज, टूरियागंज, हैदरगंज, एवररेडी चौराहे होते हुए कर्बला तालकटोरा तक जाता है। जुलूस में हजारों की संख्या में अजादार शामिल होते हैं। इसमें बड़ी संख्या में औरतें, बच्चे, नौजवान और बुर्जुग होते है।
इस बार जुलूस निकालने वाली ने जुलूस का बदल कर रात तीन बजे निकाले जाने का एलान कर दिया था। साथ ही जुलूस के समय में परिवर्तन करने की जानकारी धर्मगुरूओं को भी नहीं दी। सोशल मीडिया पर इसकी जानकारी वायरल होती ही लोगों में भारी नाराजगी की प्रतिक्रियाएं आने लगी।
अज़ादारों का कहना है कि करीब 100 साल से हमेशा जुलूस सुबह की नमाज के बाद ही उठाया जाता रहा है। ऐसे में समय में परिवर्तन होने की वजह से जुलूस में शामिल लोग नमाज कहां अदा करेंगे। जुलूस में शामिल होने के लिए लखनऊ समेत आस-पास के जिलों सें भी लोग यहां आते हैं। लोगों का कहना है कि जिस वक्त जुलूस उठेगा उस वक्त सेहरी का वक्त होगा ऐसे में लोग सेहरी करेगे या फिर जुलूस में शामिल होगे।
लोगों का कहना है कि अपने कदीमी समय और रास्ते से 21रमज़ान को निकलेगा। लोगों का कहना है कि कमेटी प्रशासन के दबाव में जुलूस के समय में परिवर्तन कर रही है। वहीं जूलूस के रास्ते में सेतु निगम फ्लाई ओवर बनाने का काम भी कर रहा है जिसकी वजह से सड़क भी काफी खराब हालत में है। लोगों का कहना है कि प्रशासन रास्ते को जुलूस से पहले सही कराए।
21 रमजान के जुलूस के समय बदले की जानकारी मिलने के बाद मौलाना कल्बे जवाद ने कहा कि अपने फायदे के लिए जुलूस का वक्त बदला गया है। हमेशा से जुलूस पुराने वक्त पर उठता आया है। वक्त बदलने से पहले शहर से किसी भी उलेमा को जानकारी नहीं दी गयी जुलूस पौने तीन बजे उठाया जाएगा तो लोग सहरी और नमाज कहां अदा रकेंगे। वहीं उलेमा की नाराजगी सामने आने के बाद जुलूस कमेटी से मुख्तार हुसैन ने कहा कि अजादारों को गर्मी से बचाने के लिए जुलूस का वक्त बदला गया था लेकिन लोगों के विरोध को देखते हुए अब जुलूस अपने पुराने वक्त पर ही निकाला जाएगा।
एडीएम पश्चिमी संतोष कुमार का कहना है कि जुलूस का वक्त बदलने का फैसला कमेटी का है। प्रशासन का इस में कोई दख्ल नहशी है। प्रशासन का काम है जुलूस को शांतिपूर्ण सम्पन्न कराने का है।
गौरतलब रहे कि पिछले कुछ वर्ष पूर्व दशहरा और मोहर्रम एक साथ पडऩे की वजह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ऐशबाग स्थिति रामलीला मैदान में आए हुए थे जिसकी वजह से जूलूस का वक्त कानून व्यवस्था के मद्देनजर शिया समाज ने जुलूस के वक्त में परिवर्तन किया था।
यहीं नहीं आठ मोहर्रम को दरिया वाली मस्जिद से निकलने वाले अलम फातहे फुरात के रास्ते में भी बदलाव हाईकोर्ट के फैसले पर सहमति बनी थी लेकिन इस बार कुछ शिया उलेमा के बीजेपी से नजदीकी और मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी के अली और बजरंगबली के बयान से साथ ही बंगाल में कही थी कि पूजा के लिए मोहर्रम के जुलूस को समय बदल दिया इस बयान से बीजेपी का सपोर्ट करने वाले शियों की बहुत फजीहत हुई जिसके बाद २१ रमजान के जुलूस के वक्त में किसी तरह के बदलाव का संदेश सही नहीं जा रहा था।