न्यूज़ डेस्क।
राजस्थान की कांग्रेस सरकार ने पूर्व में राज्य की भारतीय जनता पार्टी सरकार के एक और फैसले को पटल दिया है। तीन साल पहले तत्कालीन बीजेपी सरकार ने जो सिलेबस तैयार किया था उसमें वीर सावरकर को महान देशभक्त, वीर और क्रांतिकारी बताया था।
वहीं अब कांग्रेस सरकार की तरफ से किये गए बदलाव में सावरकर को ब्रिटिश सरकार से दया मांगने वाला बताया गया है।
गहलोत सरकार के इस फैसले के बाद हंगामा भी शुरु हो गया और बयान बाजी भी। राजस्थान के शिक्षा मंत्री भी अपने सर्कुलर को लेकर बयानबाजी मे कूद गये और साफ कह दिया कि भाजपा ने पहले तमाम शहीदों व विभूतियों के नाम को बदला था लिहाजा इस सरकार मे किया तो गलत क्या किया।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और शिक्षा मंत्री गोविन्द सिंह डोटासरा का कहना है कि इसमें कोई विशेष बात नहीं है। सिलेबस की समीक्षा के लिए कमेटी बनाई जाती है और वो अपना काम करती है।
बता दें कि राजस्थान में सत्ता में आने के बाद प्रदेश की अशोक गहलोत सरकार ने स्कूली पाठ्यक्रम की समीक्षा का काम शुरु किया था। इस काम के लिए दो कमेटियों को गठन किया गया।
माध्यमिक शिक्षा के सिलेबस की समीक्षा के लिए बनाई गई कमेटी कक्षा दस में पढ़ाये जाने वाले पाठ “अंग्रेजी साम्रज्य का प्रतिकार एवं संघर्ष” में कई महापुरुषों की जीवनी शामिल है।
इसी पाठ में वीर सावरकर की जीवनी भी शामिल है, नए बदलाव में बताया गया है कि वीर सावरकर ने जेल में दी जाने वाली यातनाओं से तंग आकर ब्रिटिश हुकूमत से दया की मांग की थी।