डा. रवीन्द्र अरजरिया
भारत के कूटनैतिक प्रयासों ने सशक्त पडोसी चारों खाने चित्त हो गया। चीन को आखिरकार भारत के पक्ष में खडे विश्व समुदाय की एकजुटता के समक्ष झुकना ही पडा। टैक्नीकल होल्ड हटते ही संयुक्त राष्ट्र ने पाकिस्तान की सरजमीं से आतंकवाद फैलाने वाले संगठन जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित कर दिया। मुम्बई के 26/11 काण्ड सहित अनेक आतंकी हमलों के उत्तरदायी पर कानूनी शिकंजा कसता जा रहा है। यह सब उस वक्त हुआ जब भारत में लोकसभा चुनावों का दौर अपनी चरम सीमा पर है।
उल्लेखनीय है कि कुछ दिन पहले ही चीन के समाचार पत्र ने मोदी को फिर से प्रधानमंत्री बनने की सम्भावना जताई थी। उसके पहले देश के विदेश मंत्रालय के साथ चीन के समकक्ष अधिकारियों ने निरंतर संवाद स्थापित करने में रुचि दिखाई थी। कहीं यह सब चीन सहित सम्पूर्ण में भारत के लोकसभा चुनाव परिणामों के पहले की आहट तो नहीं है? भविष्य के नेतृत्व के साथ सामंजस्य स्थापित करने का प्रयास तो नहीं है? विश्वगुरू बनने की राह पर तेजी से बढ रहे देश के साथ संबंध सुधार की कोई अघोषित नीति तो नहीं है? मन में चल रहे विचारों के मंथन की आवश्यकता महसूस हई।
चंडीगढ में भौतिक उपस्थिति होने के कारण स्थानीय स्तर पर ही उपाय खोजना था। दिमाग के घोडे दौडाये। विदेश मामलों के जानकार और राष्ट्रवादी विचारधारा के पोषक डाक्टर जोर सिंह जी का चेहरा जेहन में उभर आया। वे पंजाब में स्थापित देशभक्त विश्वविद्यालय के कुलाधिपति हैं। तार्किक चिन्तन, स्पष्ट वक्तव्य और पारदर्शी व्यक्तित्व के धनी डा. जोर सिंह जी को फोन लगाकर मिलने का समय और स्थान निर्धारित किया। विचार-विमर्श हेतु उनके आलीशान बंगले पर पहुंचते ही उनके दरवान ने जोरदार सलाम ढोकते हुए हमें मेहमानखाने तक पहुंचाया। भारी-भरकम सोफे पर आसन जमाया।
पाकिस्तान की कलुषित मानसिकता
कुछ पल ही गुजरे थे कि उन्होंने मुस्कुराते हुए कमरे में प्रवेश किया। आत्मीयता भरा अभिवादन मिलते ही हमें अतीत के सुखद क्षण याद आ गये। उन्होंने कुशलक्षेम पूछने-बताने के बाद अचानक चंडीगढ आने का प्रयोजन जानने की इच्छा व्यक्त की। चुनावी कवरेज हेतु आगमन का मुख्य उद्देश्य बताते हुए हमने अपने मन में चल रहे विचारों का मंथन शुरू करने की नियत से मसूद अजहर, पाक और चीन के संयुक्त हितों को वर्तमान परिपेक्ष में रेखांकित करने का निवेदन किया। विश्व समुदाय का आतंकवाद के विरोध में एकजुट हो जाने के विभिन्न कारकों को स्पष्ट करते हुए उन्होंने कहा कि विभाजन के बाद से पाकिस्तान की कलुषित मानसिकता समय-समय पर सामने आती रहीं हैं।
बांगलादेश के अस्तित्व में आने के बाद से तो वह खुलकर विरोधी स्वर मुखरित करने लगा है। कश्मीर का राग और अपराधियों के तरानों की जुगलबंदी में तो उसे महारत हासिल है। विश्व अनुशासन को घता बताते हुए वह अपने खुफिया तंत्र के माध्यम से आतंक को हमेशा ही पालता-पोषता रहा ताकि मौका मिलते ही वह भारत में अशान्ति का वातावरण पैदा कर सके। आर्थिक रूप से कंगाली की कगार पर पहुंच चुके इस देश ने इस्लाम के नाम जेहाद का मुखौटा ओढ लिया।
इस मुखौटे की आड में वह धार्मिक कट्टरता का पर्याय बनकर इस्लामिक देशों से धनार्जन कर सके। उनके द्वारा प्रस्तुत की जा रही भूमिका लम्बी होती देखकर हमने बीच में ही टोकते हुए लोकसभा चुनाव-काल में ही चीन द्वारा टैक्नीकल होल्ड हटाने और संयुक्त राष्ट्र द्वारा मसूद को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने के पीछे की मंशा को समीक्षा करने के लिए कहा।
चीन की विस्ताववादी नीतियां जग जाहिर
इस मुद्दे के राजनैतिक घमासान भरे वातावरण में अवतरित होने की स्थिति पर समीक्षात्मक टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा कि सभी राष्ट्र अपने प्रतिद्वंदियों देशों की गतिविधियों पर कडी नजर रखते हैं। इस हेतु पर्दे के पीछे से गुप्तचरों का सहारा लिया जाता है। अतीत का विश्लेषण करके वर्तमान में निर्णय लिया जाता हैं ताकि भविष्य को सुरक्षित रखा जा सके। चीन की विस्ताववादी नीतियां जग जाहिर हैं।
पाकिस्तान की अविश्वसनीयता भी प्रमाणित होने लगी है। ऐसे में मसूद प्रकरण में विश्व विरादरी से अलग-थलग पड जाने पर ही चीन ने एक तीर में कई निशाने साधने की कोशिश की है। मसलन संयुक्त राष्ट्र में खुली बहस की स्थिति को टाल कर स्वयं को बेनकाब होने से बचाया, अन्य देशों की राय के साथ अपनी राय मिला दी, भारत गण राज्य में सत्ता की आहट सुनकर अप्रत्यक्ष में सहयोग करने के संकेत दिये, फिलहाल पाकिस्तान को कुछ समय के संतुलित व्यवहार करने की नसीहत दी।
मुद्दा नहीं बल्कि कर्तव्यपरायणता का प्रत्यक्षीकरण
इसके अलावा भी अनेक कारण है जिससे चीन को बैकफुट पर आना पडा। यह मुद्दा नहीं बल्कि कर्तव्यपरायणता का प्रत्यक्षीकरण है जिसे राजनैतिक आइने से नहीं देखा जाना चाहिये। देश के प्रति समर्पित होने और संविधानानुसार आचरण करने की शपथ लेने वाली सरकार किसी राजनैतिक दल के दायरे से बाहर पहुंच कर ही काम करती है।
केवल चुनावी दंगल में ही सभी राजनैतिक दल अपनी पीठ स्वयं थपथपाते हैं और दूसरे की कमियों को अपने-अपने ढंग से प्रचारित करते हैं। यह हमारे देश की सैद्धान्ति आचार संहिता है। यह अलग बात है इस सिद्धान्त को सियासतदार कितना अपने आचरण में उतारते हैं। सदन की गरिमा और देश की अस्मिता को कितना कायम रखते हैं।
हमारे विचारों को पूरी तरह से संतुष्टि नहीं मिली थी सो देश, काल और परिस्थितियों के सापेक्ष मसूद अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने की वास्तविक मंशा को उजागर करने की बात कही। उनके गम्भीर चेहरे पर मुस्कुराहट छा गई। प्रश्न की गहराई में उतरते हुए उन्होंने कहा कि सरकार की उपलब्धि सत्ताधारी दल के खाते में जाती है।
त्रिपदी सिद्धान्त
इसके पीछे त्रिपदी सिद्धान्त काम करता है जिसे नीति निर्धारण, नीति अनुपालन और नीतिगत परिणाम के रूप में परिभाषित किया जाता है। पार्टियां अपने संस्थागत सिद्धान्तों के अनुरूप आचरण करतीं है और उसी के अनुरूप निष्कर्ष भी प्राप्त होते हैं। यह अलग बात है कि मसूद प्रकरण पर परिणामों की प्राप्ति चुनावी महाभारत के चरम पर पहुंचने के दौरान हो रही हैं। चीन की दूरगामी चाल हो सकती है मसूद प्रकरण से टैक्नीकल होल्ड हटाना। चर्चा चल ही रही थी कि उनके वर्दीधारी नौकर ने स्वल्पाहार से भरी ट्राली ढकेलते हुए कमरे में प्रवेश किया।
व्यवधान उत्पन्न हुआ परन्तु तब तक हमारे मन में चल रहे विचारों का पर्याप्त मंथन हो चुका था। कुछ ही देर में सेन्टर टेबिल पर फल, मिठाई, नमकीन सहित ढेर सारे भोज्य पदार्थों सहित फलों का जूस सजाया दिया गया। बातचीत के चल रहे सिलसिले को स्थगित करते हुए हमने सेन्टर टेबिल की ओर रुख किया। इस बार बस इतना ही। अगले सप्ताह एक नये मुद्दे के साथ फिर मुलाकात होगी। जयहिंद।