जुबिली न्यूज डेस्क
कोरोना वायरस के नए वेरिएंट ओमिक्रॉन से संक्रमित 183 मामलों पर केंद्र सरकार के विश्लेषण में यह बात सामने आई है कि संक्रमित दस में से कम से कम 9 लोगों को कोरोना वैक्सीन की दोनों डोज लगी थी।
इस विश्लेषण का डेटा शेयर करते हुए शुक्रवार को केंद्र सरकार ने कहा कि कोरोना महामारी से बचने के लिए वैक्सीन काफी नहीं है।
केंद्र ने कहा कि मास्क और निगरानी वैक्सीन लगाने के बाद भी उतनी ही जरूरी है ताकि ट्रांसमिशन चेन को तोड़ा जा सके।
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इस विश्लेषण को केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने जारी किया है। इस विश्लेषण से पता चलता है कि 27 प्रतिशत संक्रमित ऐसे लोग हैं, जिन्होंने विदेश दौरा नहीं किया था। इससे संकेत मिलता है कि ओमिक्रॉन की मौजूदगी समुदायों के बीच है।
केंद्र के इस विश्लेषण के अनुसार 87 (91 प्रतिशत) संक्रमितों ने पहले ही वैक्सीन की दोनों डोज लगा ली थी और तीन ने तो बूस्टर शाॉट्स भी लिया था। 183 में केवल सात लोगों ने वैक्सीन नहीं लगाई थी जबकि दो लोगों को पहली डोज ही लगी थी।
केंद्र ने ये भी बताया है कि 73 लोगों के वैक्सीनेशन स्टेटस का पता नहीं है और 16 लोग वैक्सीन लगाने के लिए मेडिकली अनफिट थे।
कोविड टास्क फोर्स के प्रमुख डॉ वीके पॉल ने चेतावनी दी है कि डेल्टा की तुलना में ओमिक्रॉन अधिक संक्रामक है। डॉ पॉल ने कहा कि कोई एक व्यक्ति बाहर से ओमिक्रॉन संक्रमण अपने घर में इसलिए ला रहा है क्योंकि वो बिना मास्क लगाए निकला था। उस व्यक्ति से घर के बाकी लोग भी संक्रमित होंगे। ओमिक्रॉन में यह जोखिम अधिक बड़ा है।
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डॉ पॉल ने कहा कि इसे हमें दिमाग में रखना होगा। उन्होंने आगे कहा, ”मैं ये जोर देकर कह रहा हूं कि सतर्क रहने की जरूरत है। त्योहार और नए साल आ रहे हैं और ओमिक्रॉन इस दौरान पांच पसार सकता है। हमें जिम्मेदार बनना होगा। मास्क पहनकर ही बाहर निकलें और हाथों को साफ रखें। भीड़भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचें। गैरजरूरी यात्राएं टाल दें।”
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केंद्र सरकार के विश्लेषण में कहा गया है, ”क्लिनिकल लक्षण स्तर पर देखें तो ओमिक्रॉन के 70 फीसदी मरीजों में कोई लक्षण नहीं है। अभी भी भारत में डेल्टा का संक्रमण ज़्यादा है।”
भारत में ओमिक्रॉन के कुल मामले 415 हो गए हैं। महाराष्ट्र में ओमिक्रॉन के सबसे ज़्यादा 108, दिल्ली में 79, गुजरात में 43, तेलंगाना में 38, केरल में 37 और तमिलनाडु में 34 हैं।