जुबिली न्यूज डेस्क
नई दिल्ली: एक अध्ययन में पाया गया है कि साल 2023 के पहले छह महीनों में ही देश के विभिन्न हिस्सों में 250 से अधिक ऐसी सभाएं हुईं, जिनमें मुस्लिम विरोधी नफ़रती भाषण दिए गए. इस अध्ययन में पाया गया है कि इनमें से अधिकांश भाजपा शासित राज्यों में दिए गए थे और जिनमें से लगभग 70% ऐसे राज्यों में हुए, जहां या तो 2023 या 2024 में विधानसभा चुनाव होने हैं.
बता दे कि ऑनलाइन हेट ट्रैकिंग पोर्टल ‘हिंदुत्व वॉच’ के लिए रकीब हमीद नाइक, आरुषि श्रीवास्तव और अभ्युदय त्यागी की ‘2023 हाफ इयरली रिपोर्ट: एंटी-मुस्लिम हेट स्पीच इवेंट्स इन इंडिया‘ नाम की रिपोर्ट में पाया गया है कि 2023 की पहली छमाही में मुसलमानों को निशाना बनाने वाली हेट स्पीच देने की कुल 255 घटनाओं में से 205 या 80% भाजपा शासित राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में हुईं.
इन राज्यों में हुई हेट स्पीच भाषण
रिपोर्ट में पाया गया कि महाराष्ट्र, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, राजस्थान और गुजरात में नफरती भाषणों की सबसे अधिक संख्या देखी गई. अकेले महाराष्ट्र में ऐसी 29% घटनाएं हुईं. रिपोर्ट में महाराष्ट्र को मिसाल के बतौर पेश करते हुए कहा गया है कि यह इस बात का उदाहरण है कि ‘कैसे भाजपा कमजोर चुनावी समर्थन वाले क्षेत्रों में मुस्लिम विरोधी हेट स्पीच को प्रचारित करने के लिए सरकारी ताकत का इस्तेमाल करती है.’
रिपोर्ट में राज्य में सत्तारूढ़ महाविकास अघाड़ी गठबंधन में फूट के लिए भाजपा की भूमिका को इंगित करते हुए कहा गया है कि ‘2024 में होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनज़र राज्य में जानबूझकर मुस्लिम विरोधी भावनाओं को भड़काने का एक प्रयास किया जा रहा है.’ इसमें कहा गया है कि सबसे ज्यादा हेट स्पीच जिन राज्यों में दी गई, उन शीर्ष आठ राज्यों में से सात भाजपा और उसके गठबंधन सहयोगियों द्वारा शासित हैं.
भाजपा शासित राज्यों जैसे कि कर्नाटक साल के छह महीने की अवधि के अधिकांश समय तक भाजपा शासन था, मध्य प्रदेश और गुजरात में 2023 की पहली छमाही में 20 या अधिक हेट स्पीच सभाएं हुईं. इस सूची में एकमात्र अपवाद राजस्थान था, जो कांग्रेस शासित राज्य है, जहां साल के अंत में चुनाव होने हैं.
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उत्तराखंड की स्थिति को ‘खतरनाक’
रिपोर्ट में उत्तराखंड की स्थिति को ‘खतरनाक’ बताते हुए कहा गया है कि भारत में 2023 की पहली छमाही में 5% नफरत भरी घटनाएं उत्तराखंड में हुईं, जबकि राज्य में भारत की कुल आबादी का 1% से भी कम हिस्सा है. रिपोर्ट बताती है कि ऐसी हेट स्पीच वाली सभाओं में से एक तिहाई ( 33%) में स्पष्ट रूप से मुसलमानों के खिलाफ हिंसा और 12% में हथियार उठाने का आह्वान किया गया था. लगभग 11% में मुसलमानों के बहिष्कार के आह्वान हुए थे. अध्ययन में कहा गया है कि ऐसी 4% सभाओं में मुस्लिम महिलाओं को निशाना बनाते हुए नफरत भरे और लैंगिक भेदभाव वाले भाषण दिए गए.
कार्यक्रमों में यह नफरत फैलाने वाले कौन?
इस रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि इस तरह के भाषण देने वाले आयोजक कौन थे. अध्ययन में पाया गया कि भाजपा शासित राज्यों में लगभग 52% सभाएं ‘विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल, सकल हिंदू समाज और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा से जुड़ी संस्थाओं द्वारा आयोजित की गईं.’ रिपोर्ट में यह भी पाया गया है कि 15 राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों में सभी हेट स्पीच कार्यक्रमों में से 42% का आयोजन आरएसएस से जुड़े समूहों द्वारा किया गया था. अध्ययन के अनुसार, इन हेट स्पीच का बड़ा हिस्सा ‘कॉन्स्पिरेसी थ्योरी’ पर आधारित था, विशेषकर भाजपा शासित राज्यों में.
रिपोर्ट में हेट स्पीच बढ़ाने में चुनावों की भूमिका पर भी गौर किया गया और पाया गया है कि हेट स्पीच की 33% घटनाएं उन राज्यों में हुईं, जहां 2023 में विधानसभा चुनाव हो चुके हैं या होने वाले हैं.
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एक बड़ा कारण रामनवमी जैसे हिंदू त्योहार
रिपोर्ट के अनुसार, ‘इसके अलावा, इनमें से 36% से अधिक घटनाएं उन राज्यों में हुईं जहां 2024 में विधानसभा चुनाव होने वाले थे. कुल मिलाकर, इनमें से लगभग 70% घटनाएं उन राज्यों में दर्ज की गईं जहां या तो 2023 या 2024 में विधानसभा चुनाव होंगे.’ लेकिन हेट स्पीच के लिए चुनाव ही एकमात्र उत्प्रेरक नहीं हैं. रिपोर्ट के अनुसार, एक बड़ा कारण रामनवमी जैसे हिंदू त्योहार भी हैं, जिनके समय नफरत की घटनाओं के साथ-साथ नफरत भरे भाषण में भी बढ़ोतरी देखी गई है.