जुबिली न्यूज डेस्क
भारत में बुजुर्गों की बढ़ती संख्या और उनकी समस्या पर लंबे समय से बहस हो रही है। सामाजिक ताना-बाना बदलने की वजह से बुजुर्गों की समस्याएं दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। साल 2050 तक भारत में बुजुर्गों की संख्या बढ़कर 31.9 करोड़ हो जाएगी।
साल 2011 की जनगणना के हिसाब से बुजुर्गों की संख्या में तीन गुना वृद्धि हो जाएगी। 2011 की जनगणना में 60 साल या उससे अधिक आबादी भारत की कुल आबादी का 8.6 प्रतिशत थी यानी 10.3 करोड़ लोग बुजुर्ग थे। ऐसी उम्मीद है कि 2050 में बुजुर्गों की आबादी बढ़कर 31.9 करोड़ हो जाएगी।
फिलहाल बुजुर्गों को लेकर केंद्र सरकार का एक सर्वे आया जिसमें बुजुर्गों की बीमारी पर कई जानकारी सामने आई है।
स्वास्थ्य मंत्रालय के एक ताजा सर्वे के अनुसार भारत में 60 साल की आयु के ऊपर करीब साढ़े सात करोड़ बुजुर्ग किसी ना किसी गंभीर बीमारी से ग्रसित हैं। सर्वे के अनुसार 40 प्रतिशत बुजुर्गों को कोई न कोई दिव्यांगता है और 20 प्रतिशत मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी बीमारी से ग्रसित हैं।
देश में पहली बार और विश्व में इस तरह का सबसे बड़ा सर्वे हुआ है। केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण ने लौंगिट्यूडिनल एजिंग स्टडीज ऑफ इंडिया (एलएएसआई) पर इंडिया रिपोर्ट जारी की है।
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एलएएसआई देश में उम्रदराज हो रही आबादी के स्वास्थ्य, आर्थिक और सामाजिक निर्धारकों और परिणामों की वैज्ञानिक जांच का व्यापक राष्ट्रीय सर्वे है।
दिल और मानसिक बीमारी
सर्वे के मुताबिक 60 साल या इससे अधिक उम्र के 34.6 फीसदी लोग दिल की बीमारियों के शिकार हैं। शहरी इलाकों में दिल की बीमारी के मरीजों की संख्या 37.5 फीसदी है तो वहीं ग्रामीण इलाकों में 23.2 फीसदी है। मानसिक रोग की बात की जाए तो बुजुर्ग मानसिक बीमारी के साथ अकेलेपन से भी पीडि़त हैं।
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इसके अलावा सर्वे में यह भी खुलासा हुआ है कि हाई ब्ल्ड प्रेशर की बीमारी से जूझ रहे लोगों की संख्या भी काफी है। सर्वे कहता है कि शहरी इलाकों में 35.6 प्रतिशत बुजुर्ग हाई बीपी के शिकार हैं तो ग्रामीण क्षेत्र में 21.1 फीसदी बुजुर्ग इसके मरीज हैं।
इस सर्वे का मकसद देश के बुजुर्गों की स्थिति का आकलन कर उनके स्वास्थ्य, सुरक्षा और कल्याण के लिए नीतियां बनाना है। केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन के अनुसार एलएएसआई से मिले डाटा का इस्तेमाल बुजुर्गों के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम को मजबूत और व्यापक बनाने में किया जाएगा।
सैंपल में कौन हुआ शामिल
एलएएसआई के सर्वे में 45 साल और उसके ऊपर के 72,250 व्यक्तियों और उनके जीवनसाथी का बेसलाइन सैंपल कवर किया गया। इसमें 60 साल और उससे ऊपर की उम्र के 31,464 व्यक्ति और 75 वर्ष और उससे ऊपर की आयु के 6,749 व्यक्ति शामिल किए गए। ये सैंपल सिक्किम को छोड़कर सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से लिए गए।
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सर्वे के अनुसार देश के 60 साल या इससे अधिक उम्र के 43.5 प्रतिशत लोग पढ़े लिखे हैं। वहीं कृषि क्षेत्र में काम करने वाले 60 साल या उससे अधिक उम्र के लोगों का प्रतिशत 64.8 है। इस सर्वे में एक और तथ्य सामने आया वह यह है कि 60 साल या उससे अधिक वर्ष के 78 प्रतिशत लोगों को पेंशन नहीं मिलती है।