जुबिली न्यूज़ डेस्क
कमलनाथ सरकार पर पिछले 13 दिन से छाए संकट के निर्णायक हल का दौर आ गया है। विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति ने शनिवार रात कांग्रेस के छह सिंधिया समर्थक विधायकों (मंत्री) का इस्तीफा मंजूर कर लिया है। इन विधायकों में गोविंद सिंह राजपूत, महेंद्र सिंह सिसोदिया, प्रभुराम चौधरी, प्रद्युम्न सिंह तोमर, तुलसीराम सिलावट और इमरती देवी शामिल हैं।
इधर भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने राज्यपाल लालजी टंडन से मुलाकात कर कहा कि कांग्रेस सरकार अल्पमत में है, आप सरकार को निर्देश दें कि वह फ्लोर टेस्ट कराए। इसके बाद से राजभवन विधि विशेषज्ञों को बुलाकर कानूनी संभावनाओं को टटोल रहा है।
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भाजपा कह रही है कि कमलनाथ सरकार के 22 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया है, अब उसके पास बहुमत नहीं है। वहीं कांग्रेस कह रही है कि उसके विधायकों को बंधक बनाया गया है। ऐसे हालात में और साक्ष्य के अभाव में राज्यपाल को संवैधानिक अधिकार है कि वह सरकार को फ्लोर टेस्ट करवाने का निर्देश दे सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने भी यही कहा है कि संवैधानिक संकट की स्थिति में फ्लोर टेस्ट का निर्देश देना राज्यपाल का विशेषाधिकार है। कर्नाटक और उत्तरप्रदेश मामले का निर्णय इसका उदाहरण है।
वहीं कानून के जानकार कहते हैं कि जब राज्यपाल को संदेह हो जाए कि सरकार के पास बहुमत नहीं है तो वह फ्लोर टेस्ट का निर्देश दे सकता है। वह भी तब, जबकि राज्यपाल इस बात से संतुष्ट हो जाएं कि वाकई संवैधानिक संकट की स्थिति बन गई है, सरकार बहुमत खो चुकी है।
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