न्यूज़ डेस्क
नई दिल्ली। भारत में पिछले कुछ सालों में बड़े पैमाने पर कंपनियां बंद हुई हैं। इन बंद होने वाली ज्यादातर कंपनियों में फर्जी कंपनियां शामिल है। भारत में रजिस्टर्ड 6 लाख 80 हजार से ज्यादा कंपनियां बंद हो गई हैं, यह आंकड़ा मई 2019 तक का है।
बंद होने वाली कंपनियां कुल रजिस्टर्ड कंपनियों का 36 प्रतिशत हैं। सरकार के डाटा के मुताबिक देश में करीब 1.9 मिलियन कंपनियां रजिस्टर्ड हैं। मिनिस्ट्री ऑफ कॉरपोरेट अफेयर (MCA) ने संसद को इसकी जानकारी दी।
दरअसल जिन कंपनियों की ओर से दो साल का फाइनेंशियल स्टेटमेंट और एनुअल रिटर्न नहीं दाखिल किया जाता है, उन्हें बंद कंपनी मान लिया जाता है।
सरकार ऐसी कंपनियों को चिन्हित करके उन्हें कंपनी एक्ट 2013 के सेक्शन 248 (1) के अंतर्गत आने वाले नियमों के तहत रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया जाता है। साल 2017-18 में इसमें 20 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई थी।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की ओर से संसद को दी जानकारी के मुताबिक देश में रजिस्टर्ड कंपनियों का बंद होने के मामले में दिल्ली और महाराष्ट्र सबसे आगे हैं। दिल्ली में जहां 1,42,425 कंपनियां बंद हुई, जबकि महाराष्ट्र में 1,25,937 कंपनियां बंद हो गई हैं।
दिल्ली, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में देश की आधे से ज्यादा बंद होने वाली कंपनियां शामिल हैं। एमसीए ने साल 2017-18 में करीब 2,20,000 कंपनियों को रजिस्ट्रेशन लिस्ट से हटा दिया था, जबकि साल 2018-19 में 1,10,000 कंपनियों को इस लिस्ट से हटा दिया गया था।
क्या होती है फर्जी (शेल) कंपनियां
फर्जी कंपनियां कागजों पर बनी ऐसी कंपनियां होती हैं जो किसी तरह का आधिकारिक कारोबार नहीं करती हैं। इन कंपनियों का इस्तेमाल मनी लॉन्ड्रिंग के लिए किया जाता है।
इन कंपनियों के संचालन की बात की जाए तो इनमें किसी तरह का कोई काम नहीं होता, इनमें केवल कागजों पर एंट्रीज दर्ज की जाती हैं। हालांकि, कंपनीज एक्ट में शेल कंपनी शब्द को परिभाषित नहीं किया गया।