न्यूज डेस्क
पिछले साल महाराष्ट्र के पीएमसी बैंक में घोटाला हुआ था जिसकी वजह से कई खाताधारकों की जान चली गई थी। आरबीआई ने इस बैंक से पैसे निकासी पर रोक लगा दी थी। अभी पीएमसी के खाताधारकों को राहत मिली नहीं कि महाराष्ट्र के एक को-ऑपरेटिव बैंक में 512.54 करोड़ रुपये का घोटाला सामने आया है।
18 फरवरी को नवी मुंबई पुलिस ने पनवेल स्थित कर्नाला नगरी सहकारी बैंक में 512.54 करोड़ रुपये की कथित अनियमितता के लिए एक पूर्व विधायक सहित 76 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया। इस गबन के आरोप में सहकारी बैंक के 12 पदाधिकारियों सहित 76 लोगों के खिलाफ सोमवार को एफआईआर दर्ज की गई है।
टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के अनुसार रायगढ़ जिले के सहयोग विभाग के विशेष ऑडिटर उमेश तुपे ने पूर्व किसानों और वर्कर्स पार्टी (पीडब्ल्यूपी) के विधायक और बैंक के संस्थापक-अध्यक्ष विवेकानंद पाटिल को मुख्य आरोपी बताया है। टुपे ने कहा कि उन्होंने पाया कि लोन बिना संपाश्र्विक के लिए गए थे और ये पैसे पाटिल द्वारा नियंत्रित ट्रस्टों के खातों में डाइवर्ट किए गए हैं।
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मालूम हो कि इस बैंक की 17 शाखाएं रायगढ़, पुणे और रत्नागिरी जिलों में हैं और इसमें लगभग 40,000 जमाकर्ता हैं। बावजूद इसके बैंक दबाव का सामना कर रहा था। पिछले साल बैंक से निकासी 5,000 रुपये तक सीमित थी। यह डिटेल बैंक उपाध्यक्ष, सीईओ और निदेशक मंडल के नाम पनवेल सिटी पुलिस स्टेशन में दर्ज की गई एफआईआर में हैं।
इन आरोपियों पर धोखाधड़ी, जालसाजी और दस्तावेजी सबूतों को गायब करना और द महाराष्ट्र प्रोटेक्शन ऑफ इंटरेस्ट ऑफ डिपॉजिटर्स के तहत (वित्तीय प्रतिष्ठानों में) अधिनियम, 1999, और महाराष्ट्र सहकारी सोसायटी अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है।
चार महीने की पड़ताल के बाद आरबीआई को ऑडिट रिपोर्ट सौंपी गई जिसमें लिखा है कि आरोपियों ने बैंकिंग नियमों और विनियमों का उल्लंघन किया है। 2008 के बाद से बैंकों में राशि, गबन के इरादे से जमा की गई है और नकली उधारकर्ताओं के लोन के वितरण को सक्षम करने के लिए दस्तावेजी सबूतों में हेरफेर किया गया और उन्हें नष्ट कर दिया गया।
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