न्यूज डेस्क
एक ओर पूरे देश में नागरिकता संसोधन कानून को लेकर विरोध-प्रदर्शन हो रहा है तो वहीं भारत की नागरिकता छोड़ने को लेकर चौकाने वाला आंकड़ा सामने आया है।
विदेश मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक जनवरी, 2015 से अक्टूबर 2019 के बीच 5.8 लाख भारतीयों ने अपनी नागरिकता छोड़ किसी अन्य देश की नागरिकता लेना पसंद किया।
रिपोर्ट के अनुसार भारतीयों ने नागरिकता लेने में अमेरिका को प्राथमिकता दिया है। भारतीयों की पहली पंसद अमेरिका थी उसके बाद ऑस्ट्रेलिया और कनाडा रही।
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विदेश मंत्रालय द्वारा जारी किए गए रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2019 के शुरुआती दस महीनों में रिकॉर्ड 1.1 लाख भारतीयों ने अपने पासपोर्ट सरेंडर कर दिए। वहीं भारतीय नागरिकता छोडऩे की सबसे अधिक संख्या 2016 में दर्ज की गई, जब रिकॉर्ड 1.3 भारतीयों ने देश की नागरिकता छोड़ दी।
अन्य वर्षों में भी प्रति वर्ष एक लाख से अधिक भारतीयों ने दूसरे मुल्क की नागरिकता देने के लिए भारतीय पासपोर्ट वापस कर दिए।
भारतीय विदेश मंत्रालय के पास दुनियाभर में भारतीय नागरिकता छोड़ने वाले नागरिकों और भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन करने वाले लोगों का संकलन होता है।
रिपोर्ट के अनुसार साल 2017 में 106072, 2018 में 119599, 2019 में 111244 लोगों ने देश की नागरिकता छोड़ने के लिए आवेदन किया। इनमें 44 फीसदी यानी 2.5 लाख के करीब भारतीयों ने अमेरिकी नागरिकता लेने के लिए आवेदन किया। इसके अलावा एक लाख से ज्यादा भारतीयों ने ऑस्ट्रेलिया में बसने के लिए भारतीय नागरिकता छोड़ दी।
वहीं 94874 भारतीयों ने कनाडा की नागरिकता के लिए आवेदन किया है। वहीं अन्य 1.3 लाख भारतीय ने दूसरे देश की नागरिकता
के लिए आवेदन किया। इस बीच पाकिस्तान और सीरिया जैसे देशों की नागरिकता के लिए किसी भी भारतीय ने आवेदन नहीं किया। रिपोर्ट के मुताबिक 35986 भारतीय ने वहां की नागरिकता के लिए आवेदन किया।
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