- तालाबंदी में खूब बिके पतंजलि के प्रोडक्ट
- रेवेन्यू भी 6 प्रतिशत बढ़ते हुए 9,024.2 करोड़ रुपये के लेवल पर पहुंच गया
जुबिली न्यूज डेस्क
कोरोना महामारी और तालाबंदी ने बड़े-बड़े उद्योगपतियों की कमर तोड़ दी हैं तो वहीं बाबा रामदेव के नेतृत्व वाली कंपनी पतंजलि आयुर्वेद के मुनाफे में जबर्दस्त इजाफा हुआ है। वित्त वर्ष 2019-20 में पतंजलि को 39 पर्सेंट का फायदा हुआ है। इसके अलावा रेवेन्यू भी 6 प्रतिशत बढ़ते हुए 9,024.2 करोड़ रुपये के लेवल पर पहुंच गया है।
ब्रिकवर्क्स रेटिंग्स के अनुसार पतंजलि आयुर्वेद को 485 करोड़ रुपये का लाभ हुआ है। इतना ही नहीं वित्त वर्ष के आखिरी महीने मार्च में लागू हुए तालाबंदी के चलते जब दिग्गज कंपनियों को शीर्षासन करना पड़ गया, तब भी पतंजलि की ग्रोथ का सिलसिला जारी रहा है।
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तालाबंदी की अवधि के दौरान पतंजलि के उत्पादों की बिक्री में तेजी देखने को मिली। इसके अलावा वित्त वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही में भी कंपनी की सेल में जोरदार इजाफा हुआ है।
विशेषज्ञों के अनुसार एफएमसीजी सेक्टर की कंपनी होने और तमाम हर्बल उत्पादों की मांग के चलते कंपनी को यह फायदा हुआ है। खासतौर पर पतंजलि के कई प्रोडक्ट्स की इम्युनिटी बूस्टर के तौर पर पहचान है और कोरोना संक्रमण से निपटने के लिए इनकी मांग में तेजी आई है। इसका सीधा असर कंपनी के कारोबार पर देखने को मिला है।
पिछले साल दिसंबर में ब्रिकवर्क्स रेटिंग्स ने पतंजलि का आउटलुक पॉजिटिव बताते हुए कहा था कि कंपनी अपने टर्नओवर और मुनाफे को लगातार बढ़ाने में कामयाब रही है। यही नहीं पतंजलि ने बीते साल दिवालिया हुई कंपनी रुचि सोया का अधिग्रहण किया था और तब से अब तक रुचि सोया के शेयरों में 80 गुना से ज्यादा का इजाफा हो चुका है।
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वित्त वर्ष 2019 में भी पतंजलि का टर्नओवर बढ़ते हुए 8522.69 करोड़ रुपये के लेवल पर पहुंच गया था। इससे पहले 2018 में यह 8135.94 करोड़ रुपये ही था।
गौरतलब है कि हाल ही में पतंजलि आयुर्वेद की ओर से कोरोना इम्युनिटी बूस्टर के तौर पर कोरोनिल किट लॉन्च की गई है। शुरुआत में बाबा रामदेव ने इसे कोरोना से निपटने वाली दवा करार दिया था, लेकिन तमाम विवादों के बाद उन्होंने इसे इम्यूनिटी बूस्टर के तौर पर बेचने की बात कही है। इसके अलावा कंपनी की गिलोय, शहद जैसी चीजों की भी बाजार में इम्यूनिटी बूस्टर के तौर पर मांग बढ़ी है।