जुबिली स्पेशल डेस्क
भले ही बीजेपी अकेले दम पर सरकार बनाने में नाकाम रही हो लेकिन उसने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर फिर से सरकार बना ली है। ऐसे में वो अपने सहयोगी दलों को हर संभव खुश रखने में लिए पूरी तरह तैयार है।
इसकी एक बजट में देखने को मिली। भले ही बिहार और आध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा न मिला हो लेकिन तगड़ा आर्थिक पैकेज देकर फिलहाल नीतीश और नायडू को खुश जरूर कर दिया है।
उधर सरकार के इस बजट को लेकर विपक्ष ने पूरी तरह से मोर्चा खोल दिया है।वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश किए गए बजट से नाराज विपक्ष ने विरोध की पूरी तैयारी कर ली है। कई विपक्षी नेताओं ने बजट को भेदभावपूण करार दिया है और कुछ ने इसे‘कुर्सी बचाओ बजट’ तक कह डाला है।
वहीं अब कांग्रेस के तीन मुख्यमंत्री 27 जुलाई को होने वाली नीति आयोग की बैठक में हिस्सा नहीं लेने का ऐलान किया है। जबकि तामिलनाडू भी इस बैठक में हिस्सा नहीं लेगी जबकि ममता बनर्जी इस बैठक में हिस्सा लेंगी।
तमिलनाडू के सीएम स्टालिन ने कहा कि बजट में तमिलनाडु को सबसे बड़ा धोखा मिला है। उन्होंने बजट पर गहरा असंतोष जताया और कहा कि तमिलनाडु की जरूरतों और मांगों को लगातार नजरअंदाज किया गया है। इसके चलते वो नीति आयोग की बैठक में हिस्सा नहीं लेंगे।
कांग्रेस महासचिव के सी वेणुगोपाल ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा, “पेश किया गया केंद्रीय बजट बेहद भेदभावपूर्ण और खतरनाक है, जो संघवाद और निष्पक्षता के सिद्धांतों के बिल्कुल खिलाफ है, जिसका केंद्र सरकार को पालन करना चाहिए। इसके विरोध में कांग्रेस के सीएम नीति आयोग की बैठक का बहिष्कार करेंगे। इस सरकार का रवैया संवैधानिक सिद्धांतों के बिल्कुल विपरीत है।
हम ऐसे आयोजन में भाग नहीं लेंगे जो पूरी तरह से इस शासन के असली, भेदभावपूर्ण पहलुओं को छिपाने के लिए बनाया गया है।” कांग्रेस के मुख्यमंत्रियों में तेलंगाना के रेवंत रेड्डी, कर्नाटक के सिद्धारमैया और हिमाचल प्रदेश के सुखविंदर सिंह सुक्खू शामिल हैं।