न्यूज डेस्क
शनिवार को असम के जोरहाट में चाय बागान के एक अस्पताल में एक मरीज की मौत हो गई, जिसमें बाद उसके साथ करने वाले लोगों ने अस्पताल में तैनात बुजुर्ग डॉक्टर की पीट-पीटकर हत्या कर दी। फिलहाल इस मामले में पुलिस ने 21 लोगों को गिरफ्तार किया है।
वहीं इस मामले में रविवार को आईएमए की राज्य इकाई और असम मेडिकल सर्विस एसोसिएशन (एएमएसए) ने एक संयुक्त प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए 3 सितंबर को सुबह के 6 बजे से शाम के 6 बजे तक विरोध के रूप में आपातकालीन सेवाओं को छोड़कर मेडिकल सेवाओं को बंद करने का आह्वान किया। इसके बाद मंगलवार की शाम 7 बजे डॉक्टर दत्ता की मौत के दुख में एक कैंडल मार्च भी निकाला जाएगा।
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के अनुसार जोरहाट के एसपी एनवी चंद्रकांत ने बताया, टिओक चाय बागान में 32 वर्षीय सोमरा माझी एक अस्थायी कर्मचारी था। माझी को घायल अवस्था में बागान के अस्पताल में भर्ती कराया गया। उस समय डॉक्टर देबेन दत्ता लंच ब्रेक पर थे तो नर्स ने उसका प्राथमिक उपचार किया। लंच के बाद जब डॉक्टर देबेन ने उसे देखा, लेकिन तब तक उसकी मौत हो चुकी थी।
मांझी की मौत के बाद शाम चार बजे के करीब गुस्साई भीड़ अस्पताल में घुसी और तोडफ़ोड़ मचाना शुरु कर दिया। हालांकि कुछ लोगों ने भीड़ को रोकने की कोशिश की लेकिन गुस्साई भीड़ ने इन लोगों पर हमला कर दिया।
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चंद्रकांत ने आगे बताते हुए कहा कि इसके बाद 250-300 लोगों की भीड़ ने अस्पताल को घेर लिया। इन लोगों ने तोडफ़ोड़ मचाई और डॉक्टर पर हमला कर दिया। उन लोगों ने डॉक्टर की पिटाई की और कांच के टुकड़े से काट भी दिया। उन्हें सिर और पैर में चोट आई। पुलिस ने पहुंचकर उन्हें बचाया। हमने उन्हें जोरहाट मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (जेएमसीएच) में भर्ती कराया लेकिन रास्ते में उनकी मौत हो गई। अभी तक हमने 21 लोगों को हिरासत में ले लिया है।
वहीं असम चाह मजदूर संघ (एसीएमएस) की जोरहाट शाखा के सचिव नीलेश गोंड ने कहा, बाथरूम में गिरने के बाद मांझी घायल हो गया था। ऐसा हो सकता है कि उसे दिल का दौरा पड़ा हो। मांझी को अस्पताल में ले जाने के 30 मिनट बाद डॉक्टर आए और तब तक उसकी मौत हो चुकी थी। इसी वजह से कर्मचारियों का गुस्सा बढ़ गया और उन्होंने डॉक्टर की पिटाई कर दी। हम हिंसा की निंदा करते हैं।
इस मामले में भारतीय चिकित्सा संघ की असम राज्य शाखा के अध्यक्ष डॉ. सत्यजीत बोरा ने कहा कि दत्ता पर हमला चाय बागानों में काम कर रहे डॉक्टरों पर शारीरिक हमले की तीसरी बड़ी घटना है और ऐसी घटनाएं बढ़ रही हैं।
उन्होंने कहा, ‘इन घटनाओं और डॉक्टरों को सुरक्षा मुहैया कराने तथा दोषियों को सजा दिलाने में सरकार की नाकामी के खिलाफ विरोध के तौर पर डॉक्टरों ने 24 घंटे तक काम न करने का फैसला किया है।’
इस बीच, असम के स्वास्थ्य मंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने घटना की निंदा करते हुए इसे ‘दुर्भाग्यपूर्ण’ बताया। उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा कि ‘हम यह बर्दाश्त नहीं करेंगे कि कोई भी कानून अपने हाथों में ले और जिला प्रशासन को दोषियों के खिलाफ फौरन कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए हैं।’
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