न्यूज डेस्क
दिल्ली विधानसभा चुनाव को लेकर राजधानी में राजनैतिक दल पहले से ही तैयारी में लगे हैं। इसके लिए वे वोटरों को साधने के लिए तमाम प्रयास कर रहे हैं। माना जा रहा है कि इस बार भी चुनाव त्रिकोणीय होगा और आम आदमी पार्टी, बीजेपी और कांग्रेस के बीच मुकाबला होगा।
भारत निर्वाचन आयोग आज दोपहर 3.30 बजे दिल्ली चुनावों की तारीख का ऐलान करेगा। दिल्ली विधानसभा चुनाव को लेकर दिल्ली चुनाव कार्यालय आज (सोमवार) यह फाइनल कर देगा कि राजधानी में कितने लोग वोट कर पाएंगे। वह वोटरों की फाइनल लिस्ट घोषित करने जा रहा है।
इस लिस्ट के अलावा किसी को भी वोट डालने का अधिकार नहीं होगा, चाहे उसके पास कितने भी दस्तावेज हों। इस घोषणा के बाद उम्मीद की जा रही है कि केंद्रीय चुनाव आयोग आज या कल में विधानसभा चुनाव की घोषणा कर देगा।
इसके बाद दिल्ली चुनाव कार्यालय चुनाव कराने की सारी जिम्मेदारी ले लेगा। ऐसी संभावना है कि चुनाव कार्यालय राजधानी में करीब डेढ़ करोड़ वोटरों के आसपास की घोषणा करेगा। उसका अनुमान यह भी है कि लोकसभा चुनाव के बाद राजधानी में लगभग ढाई लाख युवा वोटर बढ़े हैं।
चुनाव की घोषणा होते ही सभी राजनीतिक दल अपने प्रत्याशी घोषित कर देंगे। चुनाव की घोषणा होते ही आचार संहिता लागू हो जाएगी। माना जा रहा है कि राजनैतिक दलों को प्रचार के लिए मात्र दो सप्ताह का ही वक्त मिल पाएगा। नियमों के अनुसार राजधानी में फरवरी के दूसरे सप्ताह में राज्य सरकार का गठन हो जाना चाहिए।
करीब ढाई लाख नए वोटर जुड़े
दिल्ली चुनाव कार्यालय की वेबसाइट पर आए आवेदनों के बाद राजधानी में वोटरों की संख्या 1 करोड़, 45 लाख, 72 हजार, 385 हो गई है। लोकसभा चुनाव के समय दिल्ली में मतदाताओं की कुल संख्या 1 करोड़, 43 लाख, 16 हजार, 453 थी। इस लिस्ट में पुरुष वोटरों की संख्या करीब 79.73 लाख व महिला वोटरों की संख्या लगभग 65.73 लाख है। जबकि ट्रांसजेंडर वोटरों की संख्या 700 के आसपास है। सूत्र बताते हैं इसमें करीब 2.5 लाख नए वोटर जुड़े हैं।
सूत्र यह भी बताते हैं कि विधानसभा चुनाव में हर विधानसभा क्षेत्र में कम से कम एक मतदान केंद्र मॉडल होगा। इस बार 2,689 मतदान स्थलों पर 13,750 मतदान केंद्र बनाए जाएंगे। बीते विधानसभा चुनाव में मतदान स्थलों की संख्या 2,530 थी, जबकि लोकसभा चुनाव में 2,700 थी।
बता दें कि पिछले विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी को 67 सीटों पर जीत मिली थी, वहीं बीजेपी को तीन सीटों पर जीती थी। बड़ी बात यह है कि उस चुनाव में 15 सालों तक दिल्ली की सत्ता में रही कांग्रेस को एक सीट भी नहीं मिली थी।