जुबिली न्यूज डेस्क
मोदी सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ 26 नवंबर से दिल्ली की सीमा पर देश भर के किसान डटे हुए हैं। कड़कड़ाती ठंड में किसानों को तमाम परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। किसान संगठनों की माने तो आंदोलन के दौरान अब तक 20 किसानों की मौत हुई है।
किसानों ने सरकार पर उनके समुदाय के लिए सहानुभूति में कमी होने का आरोप लगाया है। किसान ने उन किसानों के लिए एक दिन के शोक की घोषणा की है, जिनकी वो आंदोलन के दौरान मृत्यु होने का दावा कर रहे हैं।
35 किसान संगठनों ने दावा करते हुए कहा है कि 26 नवंबर से शुरू हुए किसान आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले 20 किसानों के लिए रविवार को देश भर के गांवों में शोक मनाया जाएगा।
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भारतीय किसान यूनियन (सिद्धपुर) के अध्यक्ष जगजीत सिंह ने कहा कि 26 नवंबर से शुरु हुए किसान आंदोलन के बाद से अब तक हर दिन औसतन एक किसान की मौत हुई है। हम देश के सभी गांवों में 20 दिसंबर को इस दौरान शहीद हुए सभी किसानों को श्रद्धांजलि देंगे। जब उनके नाम और तस्वीरें गांवों में पहुंचेगी तो हमारे संघर्ष में जुडऩे के लिए और लोग सामने आएंगे।”
Around 20 farmers become ‘shaheed’ during protest so far. On average, one farmer has died every day since protest started: Farmer leaders
— Press Trust of India (@PTI_News) December 15, 2020
पंजाब के मोहाली और पटियाला जिलों में और उसके आसपास दो अलग-अलग सड़क दुर्घटनाओं में मंगलवार को 4 किसानों की मौत हो गई। इन किसानों की मौत का मामला मंगलवार को सिंघु बॉर्डर पर चर्चा का विषय बना रहा, जहां गुजरात, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु और उत्तराखंड के किसान भी आंदोलन में शामिल होने पहुंचे।
People across villages, blocks to pay tribute on Dec 20 to farmers who lost their lives during agitation: Farmer leader Inderjeet tells media
— Press Trust of India (@PTI_News) December 15, 2020
वहीं जहां मंगलवार को किसान संगठनों ने अपनी योजनाओं की घोषणा की तो उसी दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि किसान संगठन और कभी ख़ुद ही इन कानूनों की मांग करने वाला विपक्ष किसानों को भ्रमित कर रहा है। इसकी प्रतिक्रिया में किसानों ने सरकार पर किसान समुदाय के लिए सहानुभूति की कमी होने का आरोप लगाया।
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किसान नेताओं ने ये भी कहा कि केंद्र पर उनके बनाए दबाव का ही नतीजा है कि सरकार ने संसद के शीतकालीन सत्र को रद्द करने का फैसला किया है। उन्होंने आरोप लगाया कि संसद का शीतकालीन सत्र रद्द कर सरकार विपक्ष के सवालों से बचना चाहती है।
भारतीय किसान संघ (टिकैत) के महासचिव युधवीर सिंह सेहरावत ने कहा, “हमने प्रधानमंत्री को चुनकर उन्हें बोलने की शक्ति दी और पिछले 20 दिनों में अब तक उन्होंने हमारे लिए कुछ नहीं कहा।”