Tuesday - 29 October 2024 - 11:08 AM

पिछले 20 सालों में पुलिस हिरासत में 1888 मौतें, पर दोषी सिर्फ 26 पुलिसवाले

जुबिली न्यूज डेस्क

उत्तर प्रदेश में पिछले दिनों पुलिस कस्टडी में हुई अल्ताफ की मौत ने एक बार फिर से पुलिस हिरासत में होने वाली मौतों को लेकर बहस छेड़ दी है।

आंकड़ों के अनुसार पिछले 20 सालों में पूरे देश में 1888 लोगों की मौत पुलिस हिरासत में हुई है, लेकिन दोषी सिर्फ 26 पुलिसवाले पाए गए ।

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार देशभर में पिछले 20 सालों के डेटा को देखा जाए तो हिरासत में मौत मामले में पुलिसकर्मियों के खिलाफ 893 मामले दर्ज हुए हैं। 358 के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किए गए, लेकिन दोषी करार सिर्फ 26 पुलिसकर्मी हुए हैं।

यह भी पढ़ें :  मोदी के मंत्री बोले-अमेरिका में तय होते हैं पेट्रोल-डीजल के दाम, हमें जिम्मेदार…

यह भी पढ़ें :   लखीसराय में बड़ा हासदा, ट्रक-कार की टक्कर में 6 की मौत

एनसीआरबी के आंकड़ों के अध्ययन से पता चलता है कि हिरासत में हुई मौतों के लिए साल 2006 में सबसे ज्यादा 11 पुलिसकर्मी दोषी ठहराए गए थे, जिसमें यूपी में सात और मध्य प्रदेश में चार दोषी पाए गए थे।

साल 2020 में 76 लोगों की मौत पुलिस हिरासत में हुई है, जिसमें गुजरात में सबसे अधिक 15 मौतें हुईं हैं। इसके अलावा आंध्र प्रदेश, असम, बिहार, छत्तीसगढ़, हरियाणा, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल से भी ऐसे मामले सामने आए हैं। हालांकि, पिछले साल किसी को भी दोषी करार नहीं दिया गया है।

एनसीआरबी साल 2017 से हिरासत में मौत के मामलों में गिरफ्तार पुलिसकर्मियों पर डेटा जारी कर रहा है। पिछले चार सालों में

हिरासत में हुई मौतों के सिलसिले में 96 पुलिसकर्मियों को गिरफ्तार किया गया है। हालांकि, इसमें पिछले साल का डाटा शामिल नहीं है।

एनसीआरबी के आंकड़ों से पता चलता है कि साल 2001 के बाद से, “रिमांड पर नहीं” श्रेणी में 1,185 मौतें और “रिमांड में” श्रेणी में 703 मौतें हुईं हैं।

यह भी पढ़ें : अमरीकी चौधराहट को चीन की इस चुनौती ने दहला दिया

यह भी पढ़ें : बाइडेन ने 1.2 ट्रिलियन डॉलर के बिल को दी मंजूरी

पिछले दो दशकों के दौरान हिरासत में हुई मौतों के संबंध में पुलिसकर्मियों के खिलाफ दर्ज 893 मामलों में से 518 उन लोगों से संबंधित हैं जो रिमांड पर नहीं थे।

द इंडियन एक्सप्रेस ने एनसीआरबी डेटा को लेकर सेवानिवृत्त आईपीएस और यूपी के पूर्व डीजीपी प्रकाश सिंह से बातचीत की जिसमें उन्होंने कहा- “पुलिस के कामकाज में खामियों को स्वीकार किया जाना चाहिए और उन्हें ठीक किया जाना चाहिए”।

यह भी पढ़ें :  T20 WC Final, Aus Vs Nz : ऑस्ट्रेलिया बना नया चैम्पियन 

यह भी पढ़ें :   राहुल के ‘हिंदू और हिंदुत्व में फर्क’ वाले बयान पर मणिशंकर अय्यर ने क्या कहा?

यह भी पढ़ें :  ऑस्ट्रिया : कोरोना वैक्सीन की डोज पूरी नहीं लेने वालों के लिए लगा लॉकडाउन 

उन्होंने कहा- “20 सालों में हिरासत में होने वाली 1,888 मौतें भारत के आकार और आबादी वाले देश के लिए कोई बड़ी संख्या नहीं है, लेकिन जो महत्वपूर्ण है, वह यह है कि पुलिसकर्मी थर्ड-डिग्री तरीकों का इस्तेमाल करते हैं, हिरासत में एक व्यक्ति को चोट पहुंचाते हैं। यह गलत प्रथा है। पुलिसकर्मियों को संवेदनशील और शिक्षित करने की जरूरत है, उन्हें जांच के वैज्ञानिक तरीकों और उचित पूछताछ तकनीक पर भरोसा करना चाहिए।”

वहीं इस मामले में राष्ट्रमंडल मानवाधिकार पहल (सीएचआरआई) के सीनियर प्रोग्राम अधिकारी राजा बग्गा ने कहा कि एनसीआरबी को पुलिसकर्मियों के खिलाफ लंबित मामलों की स्थिति की जानकारी भी इसमें शामिल करनी चाहिए।

Radio_Prabhat
English

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com